जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतीपूर्ण रहे नोटबंदी और जीएसटी के कदम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 3, 2018 10:50 PM2018-12-03T22:50:14+5:302018-12-03T22:50:14+5:30

सुब्रमण्यन ने यह भी लिखा है कि रिजर्व बैंक को जानकारी थी कि 2010 की शुरुआत से गैरनिष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) तेजी से बढ़ रही हैं।

The Challenges Remarks and the steps of GST | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतीपूर्ण रहे नोटबंदी और जीएसटी के कदम

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतीपूर्ण रहे नोटबंदी और जीएसटी के कदम

इन दिनों पूरे देश और दुनिया में भारत सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के द्वारा लिखी गई नई किताब ‘ऑफ काउंसिल : द चैलेंजेस ऑफ द मोदी -जेटली इकोनॉमी’ को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। इस किताब में सुब्रमण्यन ने नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और रिजर्व बैंक की भूमिका के बारे में खुलकर विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने इस किताब में लिखा है कि जहां नोटबंदी एक व्यापक, बेरहम और मौद्रिक झटका था, वहीं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने के लिए और अधिक तैयारी की जानी थी।

सुब्रमण्यन ने यह भी लिखा है कि रिजर्व बैंक को जानकारी थी कि 2010 की शुरुआत से गैरनिष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) तेजी से बढ़ रही हैं। साथ ही नीरव मोदी की धोखाधड़ी और कर्ज भुगतान संबंधी समस्याओं पर रिजर्व बैंक ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। सुब्रमण्यन ने यह भी लिखा है कि रिजर्व बैंक के पास 4.5 से 7 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी है और इसका इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण में किया जा सकता है।   

इसमें कोई दो मत नहीं है कि अरविंद सुब्रमण्यन ने अपनी नई किताब में देश के आर्थिक परिदृश्य और विवादास्पद मसलों के बारे में अपने  विचार खुलकर प्रस्तुत किए हैं। यकीनन देश के आर्थिक इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लागू किए गए नोटबंदी और जीएसटी संबंधी आर्थिक निर्णय हमेशा रेखांकित किए जाएंगे।  

यद्यपि रिजर्व बैंक के अनुसार चलन से बाहर किए गए 15।44 लाख करोड़ नोटों में से करीब  15।22 लाख करोड़ रुपए बैंक के पास वापस आ गए जो चलन से बाहर किए गए कुल नोटों का लगभग 99 प्रतिशत हैं। लेकिन नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था के ऐसे बंद तालों को खोला है जो ऐसे कठोर निर्णय के बिना असंभव था। नोटबंदी से आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ, किंतु अप्रत्यक्ष रूप से देश को कुछ लाभ मिले हैं। कुछ हद तक देश में स्थित कालेधन की व्यवस्था पर चोट भी पड़ी है। नोटबंदी का उद्देश्य आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय मदद पर चोट करना और डिजिटलीकरण था। इसमें भी लाभ मिला है।  

इसी तरह एक जुलाई, 2017 देश के इतिहास में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार वस्तु एवं सेवाकर लागू होने के ऐतिहासिक दिन के लिए याद किया जाएगा।  1 जुलाई, 2017 के पहले तक देश में 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर लागू रहे थे। पारंपरिक रूप से एक्साइज डय़ूूटी और कस्टम डय़ूूटी अप्रत्यक्ष कर राजस्व का प्रमुख भाग रहे हैं।

इसके  अलावा सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स, कमर्शियल टैक्स, सेनवैट और स्टेट वैट आक्ट्राय, इंट्री टैक्स भी महत्वपूर्ण रहे हैं। जीएसटी के तहत माल एवं सेवाओं के लिए चार स्लैब बनाए गए हैं। लेकिन सरकार ने जीएसटी के जिस ढांचे को अंगीकृत किया है वह मूल रूप से सोचे गए जीएसटी के ढांचे से काफी अलग है।  दरअसल पहली परिकल्पना की तुलना में अधिक संकुचित और 
हस्तक्षेपकारी है। 

Web Title: The Challenges Remarks and the steps of GST

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