प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: सोने की खदान बेच रही सरकार!

By Prakash Biyani | Published: January 17, 2020 11:18 AM2020-01-17T11:18:10+5:302020-01-17T11:18:10+5:30

सरकार को उम्मीद है कि बीपीसीएल के निवेश से उसे 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिल जाएंगे. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के विनिवेश से सरकार को अधिकतम 3 हजार करोड़ रु. मिलेंगे पर इस कंपनी ने ईरान-इराक युद्ध के समय क्रूड ऑइल के ट्रांसपोर्टेशन में अहम भूमिका निभाई थी.

Prakash Biyani's blog: Government selling gold mine! | प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: सोने की खदान बेच रही सरकार!

प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: सोने की खदान बेच रही सरकार!

सरकार को व्यापार करने का माहौल और सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए, व्यापार नहीं करना चाहिए. इस नजरिए से सरकार को अपनी कंपनियां बेच देना चाहिए. खासकर वे जो मिस मैनेज्ड हैं, घाटे में हैं. ऐसी कंपनियों के विनिवेश की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई थी. भारत सरकार ने ब्रेड बनानेवाली कंपनी माडर्न फूड इंडस्ट्रीज की 74 फीसदी इक्विटी हिंदुस्तान यूनीलीवर को बेची थी.

इसके बाद भारत एल्युमिनियम, हिंदुस्तान जिंक, मारुति उद्योग, विदेश संचार निगम और करीब 20 बड़े सरकारी होटल्स सरकार ने बेचे. 2010 के बाद तो सरकार बजट में विनिवेश के लक्ष्य घोषित करने लगी पर दस वर्षो में से दो वित्तीय वर्ष 2017-18 व 2018-19 को छोड़ कभी ये लक्ष्य पूरे नहीं हुए. 2019-20 में भी सरकार ने विनिवेश से 1,05,000 करोड़ रु. जुटाने का लक्ष्य घोषित किया था पर अभी तक 17,364 करोड़ रु . ही मिले हैं.

डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस के अनुसार 2017-18 में केंद्र सरकार की 257 कंपनियों में से 71 घाटे में थीं. इनमें से बीएसएनएल के पास वेतन चुकाने को पैसे नहीं हैं तो एयर इंडिया कर्ज की किस्त और ब्याज चुकाती है तो फ्यूल खरीदने के लिए पैसा नहीं बचता है.

ऐसी कंपनियों की मरहम पट्टी ( सालाना फंडिंग) से बेहतर है कि सर्जरी कर दी जाए, यानी इन्हें बेच दिया जाए.  जन धन से स्थापित किसी कंपनी को बेचना पड़े यह नि:संदेह बुरी बात है, पर इससे भी बुरी बात है कि वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए मुनाफा अर्जन कर रही कंपनी को बेच दिया जाए. सरकार यही कर रही है. सरकार भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन (बीपीसीएल) की 53.3 और शिपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की 63.8 फीसदी इक्विटी बेच रही है. बीपीसीएल सबसे ज्यादा मुनाफा कमानेवाली छठी सरकारी कंपनी है जो चालू वित्त वर्ष में सरकार को 2500 करोड़ रुपए डिविडेंड देने जा रही है. देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑइल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन फॉच्र्यून 500 कंपनी है. 3.50 लाख करोड़ रु. का सालाना कारोबार करनेवाली इस कंपनी के 14 हजार से ज्यादा पेट्रोल पंप है जिनमें से 2500 से ज्यादा ग्रामीण अंचल में हैं. बीपीसीएल का मूल्यांकन 9 लाख करोड़ रुपए किया जाता है.

सरकार को उम्मीद है कि बीपीसीएल के निवेश से उसे 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिल जाएंगे. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के विनिवेश से सरकार को अधिकतम 3 हजार करोड़ रु. मिलेंगे पर इस कंपनी ने ईरान-इराक युद्ध के समय क्रूड ऑइल के ट्रांसपोर्टेशन में अहम भूमिका निभाई थी.

सरकार को रुग्ण सरकारी कंपनियों को बेचना चाहिए, उन्हें भी बेच देना चाहिए जो क्षमता का आधा-अधूरा उपयोग कर रही हैं. पर मुनाफा अर्जन कर रही कंपनियों को केवल वित्तीय घाटा घटाने के लिए बेचना फौरी लाभ के लिए सोने की खदान बेचने जैसी नासमझी है.

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