डिजिटल दुनिया में बढ़ते रोजगार, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: March 15, 2021 12:54 PM2021-03-15T12:54:01+5:302021-03-15T12:56:20+5:30
रिपोर्ट के मुताबिक चीन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, यूके और यूएस में हर 16 में से एक कर्मचारी को इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा.
हाल ही में वैश्विक रोजगार पर मैकेंजी के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक दुनियाभर में डिजिटल दौर के कारण करीब 10 करोड़ लोगों को अपने रोजगार को बदलना पड़ सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, यूके और यूएस में हर 16 में से एक कर्मचारी को इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उच्च डिजिटल कौशल वाले रोजगारों की मांग बढ़ेगी और परंपरागत रोजगारों की उपलब्धता में कमी आएगी.
नि:संदेह कोविड-19 के बाद अब देश और दुनिया में रोजगार परिदृश्य पर बड़ा बदलाव दिखाई देने लगा है. ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते जहां कई क्षेत्नों में रोजगार कम हो रहे हैं, वहीं डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार बढ़ रहे हैं.
जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था डिजिटल होती जा रही है, वैसे-वैसे अब एक ओर कई रोजगार ऐसे भी दिख रहे हैं, जिनके नाम पहले सुने भी नहीं गए हैं, वहीं दूसरी ओर रोजगार के लिए लगातार नए-नए स्किल्स सीखना जरूरी होता जा रहा है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना वायरस से पूरी तरह बदली हुई नई आर्थिक दुनिया में भारत की उच्च कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी की अभूतपूर्व रोजगार भूमिका निर्मित होते हुए दिखाई दे रही है.
दुनिया के कई शोध संगठनों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि डिजिटलीकरण से भारत में रोजगार के नए मौके तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वस्तुत: कोविड-19 ने नए डिजिटल अवसर पैदा किए हैं, क्योंकि देश और दुनिया की ज्यादातर कारोबार गतिविधियां अब ऑनलाइन हो गई हैं. वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) करने की प्रवृत्ति को व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिग को बढ़ावा मिला है.
कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है. अब आने वाले वर्षो में आईटी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की बढ़ती उपयोगिता के कारण उच्च आईटी कौशल प्रशिक्षित भारत की नई पीढ़ी को देश और दुनिया में चमकीले मौके मिलने की संभावना रहेगी.
चूंकि मशीनें अब मनुष्यों से ज्यादा स्मार्ट हो रही हैं और कार्यक्षेत्न में मनुष्य का स्थान ले रही हैं, ऐसे में नई पीढ़ी को मशीनों का मैनेजमेंट सीखने और वह कार्य करने की जरूरत है, जो मशीनें नहीं कर सकती हैं. इसके लिए त्वरित निर्णय लेने एवं सॉफ्ट स्किल्स को विकसित किया जाना होगा तथा भविष्य में नैतिक मूल्य, रचनात्मकता व समग्र दृष्टिकोण को कार्य का प्रभावी अंग बनाया जाना होगा.
अब नए डिजिटल रोजगारों के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर करना होगा. चूंकि देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है, अतएव डिजिटल भाषा से ग्रामीणों को शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा. चूंकि बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण जरूरत है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्नों में बिजली की पर्याप्त पहुंच बनाना जरूरी है.
नि:संदेह नई शिक्षा नीति में डिजिटल दुनिया के नए दौर के कौशल विकास पर काफी जोर दिया गया है. ऐसे में उसके प्रभावी क्रियान्वयन से डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के मौके बढ़ाए जा सकेंगे. अब कृषि, स्वास्थ्य और वेलनेस, टेलीमेडिसिन, शिक्षा और कौशल विकास जैसे विभिन्न क्षेत्नों में सक्रियता से टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस बनाए जाने होंगे.
अब देश के डिजिटल सेक्टर को यह रणनीति बनानी होगी कि किस तरह के काम दूर स्थानों से किए जा सकते हैं और कौन से काम कार्यालय में आकर किए जा सकते हैं. अब देश के डिजिटल रोजगार अवसरों को महानगरों की सीमाओं के बाहर छोटे शहरों और कस्बों में गहराई तक ले जाने की जरूरत को ध्यान में रखा जाना होगा.