जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था में मांग से नई जान फूंकने का सुनहरा अवसर

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: October 16, 2020 07:17 PM2020-10-16T19:17:07+5:302020-10-16T19:17:07+5:30

कोविड के बाद खराब हुए आर्थिक हालात के बीच देश की अर्थव्यवस्था में नई मांग के निर्माण और निवेश के लिए एक के बाद एक रणनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं. इससे देश की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष में लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी.

Jayantilal Bhandari blog: golden opportunity to revive demand in economy | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था में मांग से नई जान फूंकने का सुनहरा अवसर

अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का अब समय

Highlightsआगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की तेज वृद्धि होने की उम्मीद हैअभी देश में विकास को गति देने के लिए निर्यात बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत

13 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक में कहा गया है कि यद्यपि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी, लेकिन जिस तरह भारत में कोविड-19 संक्रमण से जंग के लिए आर्थिक रणनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं, उनसे देश की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष में लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी. ऐसे में आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की तेज वृद्धि होने की उम्मीद है.

गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था में नई मांग के निर्माण और निवेश के लिए एक के बाद एक रणनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं. हाल ही में 12 अक्तूबर को केंद्रीय वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय और त्यौहारों के दौरान उपभोक्ता मांग बढ़ाने के मकसद से जिन दो तरह के प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया है, उनसे चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक करीब 73000 करोड़ रु पए की मांग पैदा हो सकती है. अगर निजी क्षेत्न ने भी अपने कर्मचारियों को राहत दी तो इकोनॉमी में कुल मांग 1 लाख करोड़ रुपए के पार हो सकती है.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार कैश वाउचर्स और फेस्टिवल एडवांस स्कीम के तहत अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए अपने प्रत्येक कर्मचारियों को 10 हजार रुपए एडवांस में देगी. इसके अलावा सरकार 12 फीसदी या इससे ज्यादा जीएसटी वाले सामान खरीदने के लिए अपने कर्मचारियों को एलटीसी टिकट फेयर के बदले कैश देगी. इस पर केंद्र सरकार 5675 करोड़ रुपए खर्च करेगी. 

इसके अलावा इस मद में 1900 करोड़ रुपए पीएसयू और बैंक खर्च करेंगे. इससे अर्थव्यवस्था में 19 हजार करोड़ रुपए आएंगे. यदि राज्य भी इसी दिशा में कदम उठाते हैं तो बाजार में 9 हजार करोड़ रुपए और अतिरिक्त आएंगे.

इसके साथ ही पूंजीगत व्यय में सीमित वृद्धि और परियोजना के वित्त पोषण के लिए राज्यों को आंशिक तौर पर ब्याज मुक्त कर्ज देने की घोषणा की गई है. सरकार सड़क, रक्षा, बुनियादी ढांचा, जलापूर्ति, शहरी विकास पर मार्च 2021 तक 25,000 करोड़ रु पए पूंजीगत व्यय करेगी. यह राशि बजट में निर्धारित 4.13 लाख करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय के अतिरिक्त होगी. इसके अलावा सरकार राज्यों को 50 साल के लिए पूंजीगत व्यय के मद्देनजर 12,000 करोड़ रु. ब्याज मुक्त कर्ज देगी.

गौरतलब है कि सरकार की ओर से जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने की रणनीति के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमों का अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ा है. 

सरकार के द्वारा 12 अक्तूबर को प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि जहां अगस्त 2020 में औद्योगिक उत्पादन में संकुचन 8 फीसदी ही रहा है, जो कि जुलाई 2020 के 10.4 फीसदी और जून 2020 के 15.7 फीसदी संकुचन से बहुत कुछ बेहतर स्थिति में है. ऐसे में उपभोक्ता मांग एवं निवेश गतिविधि को प्रोत्साहित करके अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सकती है.

ज्ञातव्य है कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की तस्वीर बताने वाले पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) ने उम्मीद की किरणों प्रस्तुत की हैं. सितंबर 2020 में पीएमआई साढ़े आठ साल के उच्च स्तर 56.8 पर पहुंच गया, जो अगस्त में 52 पर था. 

50 से कम पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के संकुचन की स्थिति बताता है और इससे ऊपर का पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग विस्तार की प्रवृत्ति को दिखाता है. इसी तरह सितंबर 2020 में प्रस्तुत भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कारोबारी विश्वास सूचकांक (बीसीआई) से पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां सामान्य की ओर बढ़ने से कारोबारी धारणा में सुधार हुआ है.

चूंकि इस समय घरेलू मांग कमजोर बनी हुई है, इसलिए देश में विकास को गति देने के लिए निर्यात बढ़ाने पर जोर देना होगा. अब सरकार के द्वारा आर्थिक सुधारों के तहत स्वास्थ्य, श्रम, भूमि, कौशल और वित्तीय क्षेत्नों में घोषित किए गए सुधारों को आगे बढ़ाना होगा. 

कृषि क्षेत्र की विकास दर चार फीसदी तक ले जाने के हरसंभव प्रयास करने होंगे. कृषि एवं श्रम सुधारों से संबंधित नए कानूनों का जमीनी स्तर पर क्रि यान्वयन किया जाना होगा. देश के उद्योग-कारोबार सेक्टर को कम ब्याज दर पर ऋण एवं वित्तीय सुविधा तथा जीएसटी संबंधी रियायत और निर्यात को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन और सुविधाएं देकर कारोबारी माहौल बेहतर बनाना होगा.

Web Title: Jayantilal Bhandari blog: golden opportunity to revive demand in economy

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