अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवसः भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में जनभागीदारी
By देवेंद्र | Updated: December 9, 2025 05:40 IST2025-12-09T05:40:47+5:302025-12-09T05:40:47+5:30
सुदृढ़ और सतर्क सिविल समाज भ्रष्टाचार पर प्रभावी निगरानी रख सकता है तथा तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक जवाबदेह बनाया जा सकता है.

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प्रतिवर्ष 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 31 अक्तूबर 2013 को जारी घोषणा-पत्र के साथ हुई थी. भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में विभिन्न निगरानी तंत्रों तथा संस्थाओं और नियम-कानूनों का बनाया जाना जितना महत्वपूर्ण है उससे भी अधिक आवश्यकता इस बात की है कि जनभागीदारी बढ़ाई जाए.
भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब तक आम जनता जागरूक नहीं होगी, वह भ्रष्ट गतिविधियों का विरोध नहीं करेगी, तब तक कितने भी कानून क्यों न बनाए जाएं, भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है. एक सुदृढ़ और सतर्क सिविल समाज भ्रष्टाचार पर प्रभावी निगरानी रख सकता है तथा तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक जवाबदेह बनाया जा सकता है.
इसके लिए सबसे बेहतर उदाहरण जापान है, जहां भ्रष्ट अधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है. एक अन्य उदाहरण हांगकांग की आईसीएससी है जिसने हांगकांग में लोगों की इस मान्यता को बदलकर रख दिया है कि भ्रष्टाचार तो जीवन का अहम हिस्सा है. इस संस्था ने जनभागीदारी से एक सख्त आंदोलन भी चलाया.
सूचना का अधिकार और व्हिसल ब्लोअर्स अधिनियम ने नागरिकों को भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई से जोड़ा अवश्य है परंतु फिर भी एक ऐसे तंत्र के निर्माण की सख्त जरूरत है जो इस लड़ाई के भागीदार नागरिकों को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही भारतीय जनमानस में भ्रष्टाचार की सामाजिक स्वीकार्यता को भी जड़ से उखाड़ दे. इसके लिए मीडिया के विभिन्न माध्यमों से लेकर स्कूली व विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा माध्यमों में प्रभावी ढंग से बदलाव लाया जाना आवश्यक है. सक्रिय जनभागीदारी से ही भ्रष्टाचार का निर्मूलन संभव हो पाएगा.