भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भारत के ऊपर ईंधन तेल का मंडराता संकट

By भरत झुनझुनवाला | Published: February 24, 2019 07:07 AM2019-02-24T07:07:52+5:302019-02-24T07:07:52+5:30

अमेरिका ने व्यवस्था की थी कि ईरान के तेल के निर्यातों का पेमेंट किसी भी अमेरिकी बैंक द्वारा नहीं किया जाएगा. अमेरिका ने भारत जैसे देशों को भी आगाह किया था कि ईरान से तेल की खरीद कम कर दें.

India will face oil crisis because of venezuela and Iran | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भारत के ऊपर ईंधन तेल का मंडराता संकट

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भारत के ऊपर ईंधन तेल का मंडराता संकट

बीते दिनों अमेरिका ने वेनेजुएला से ईंधन तेल का आयात बंद कर दिया और भारत जैसे तमाम देशों पर भी दबाव डाला है कि वे वेनेजुएला से ईंधन तेल न खरीदें. वेनेजुएला के सत्ताधारी राष्ट्रपति पर भ्रष्टाचार आदि के तमाम आरोप हैं और अमेरिका उन्हें हटाने को उद्यत है. इससे पहले अमेरिका ने ईरान पर भी इसी प्रकार के प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिका ने व्यवस्था की थी कि ईरान के तेल के निर्यातों का पेमेंट किसी भी अमेरिकी बैंक द्वारा नहीं किया जाएगा. अमेरिका ने भारत जैसे देशों को भी आगाह किया था कि ईरान से तेल की खरीद कम कर दें. लेकिन वेनेजुएला और ईरान भारत के प्रमुख तेल सप्लायर हैं. इसलिए अमेरिका के कहे अनुसार इन देशों से तेल का आयात न करने से हमारी ईंधन सप्लाई कम होगी और अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. हमें इन देशों के सस्ते तेल के स्थान पर सऊदी अरब अथवा अन्य देशों से महंगे तेल को खरीदना पड़ेगा. ऐसे में हमको तय करना है कि अमेरिका का साथ देते हुए वेनेजुएला एवं ईरान से तेल की खरीद बंद करेंगे अथवा अमेरिका का सामना करते हुए इन देशों से तेल की खरीद जारी रखेंगे. यह निर्णय लेने के पहले हमें समझना होगा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की सफलता की क्या स्थिति है. जैसा ऊपर बताया गया है, अमेरिका ने आदेश दिया है कि किसी भी अमेरिकी बैंक के माध्यम से ईरान के तेल का पेमेंट नहीं हो सकेगा. ईरान के तेल को खरीदा जा सकता है यदि उसका पेमेंट अमेरिकी बैंकों के माध्यम से न हो बल्कि दूसरे बैंकों से हो. अत: यदि यूरो के माध्यम से ईरान के तेल का पेमेंट होता है तो इसमें अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आड़े नहीं आते हैं. वर्तमान में विश्व बाजार में तेल के व्यापार का 40 प्रतिशत पेमेंट अमेरिकी बैंकों के माध्यम से होता है जबकि 35 प्रतिशत यूरोपीय बैंकों से होता है. ऐसे में अमेरिकी सरकार ने अमेरिकी बैंकों को यह लेन-देन करने से मना कर दिया है. इसका सीधा परिणाम यह होगा कि तेल का पेमेंट अब डॉलर के स्थान पर यूरो के माध्यम से होगा जिसपर अमेरिका का कोई प्रतिबंध नहीं है. इस परिप्रेक्ष्य में आने वाले समय में विश्व बाजार में तेल का अधिकाधिक लेन-देन डॉलर के स्थान पर दूसरी मुद्राओं में होने लगेगा. ऐसा होने पर अमेरिका की मंशा निष्फल होगी क्योंकि वेनेजुएला और ईरान से तेल का निर्यात होता रहेगा और उन्हें इसका पेमेंट डॉलर के स्थान पर यूरो में मिलता रहेगा. अमेरिका की घरेलू वित्तीय हालत भी डावांडोल होती जा रही है. राष्ट्रपति ट्रम्प ने चुनावी वादा किया था कि वे अमेरिकी सरकार का वित्तीय घाटा नियंत्रित करेंगे. वित्तीय घाटा वह रकम होती है जो कि सरकार आय से अधिक खर्च करती है. इस घाटे की पूर्ति सरकारें बाजार से ऋण उठा कर करती हैं. वित्तीय घाटा बढ़ने का सीधा परिणाम मुद्रा पर पड़ता है. यदि सरकार भारी मात्ना में ऋण लेती है तो उसका पेमेंट करने के लिए सरकार को अंतत: घरेलू उद्यमों पर टैक्स लगाना पड़ता है और ऐसा करने से घरेलू उद्यमों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती है. जैसे ऋण से दबी हुई कंपनी के शेयर के मूल्य बाजार में गिरते हैं, इसी प्रकार ऋण से दबे हुए देश की मुद्रा विश्व बाजार में गिरती है. राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल के आखिरी वर्ष में अमेरिकी सरकार का वित्तीय घाटा 600 अरब डॉलर था. राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल में इस वर्ष में यह बढ़ कर 900 अरब डॉलर हो गया है. वित्तीय घाटा बढ़ने का अर्थ हुआ कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था अंदर से कमजोर हो रही है और मुद्रा कभी भी लड़खड़ा कर गिर सकती है. अमेरिकी डॉलर आज विश्व की प्रमुख मुद्रा है. विश्व के अधिकाधिक वित्तीय लेन-देन डॉलर के माध्यम से किए जाते हैं. लेकिन अमेरिका की यह ताकत अब कमजोर होने को है. जैसा ऊपर बताया गया है कि तेल के वित्तीय लेन-देन के लिए तमाम देश डॉलर को छोड़कर यूरो अथवा दूसरी मुद्रा में लेन देन शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं. इस परिस्थिति में हमें देखना होगा कि अमेरिका द्वारा वेनेजुएला तथा ईरान से तेल बंद करने की धमकी का हम पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. यदि अमेरिकी अर्थव्यस्था कमजोर हो रही है और इन प्रतिबंधों से और अधिक कमजोर होने को है तो हमें वेनेजुएला तथा ईरान से तेल का आयात करते रहना चाहिए. ऐसे में हम अमेरिका का साथ देकर दोगुना नुकसान करेंगे. एक तरफ वेनेजुला और ईरान से तेल न खरीद कर महंगा तेल खरीदेंगे और दूसरी तरफ अमेरिका भी हमारी मदद नहीं कर सकेगा. इसके विपरीत यदि हम वेनेजुएला और ईरान से तेल खरीदना जारी रखें तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकट को बढ़ा सकते हैं जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में हमारी साख में सुधार होगा. इसलिए मेरी समझ से हमें अमेरिका की धमकी का सामना करते हुए वेनेजुएला और ईरान से तेल की खरीद जारी रखनी चाहिए जिससे हमारी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रहे और अमेरिका यदि इस कार्रवाई में टूटता है तो इससे हमें कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है.

Web Title: India will face oil crisis because of venezuela and Iran

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