ऋषभ मिश्रा का ब्लॉग: UPI की बढ़ रही है वैश्विक मान्यता
By ऋषभ मिश्रा | Published: September 21, 2024 09:30 AM2024-09-21T09:30:12+5:302024-09-21T09:31:35+5:30
आज से करीब एक दशक पहले तक आम आदमी के लिए यह कल्पना से परे की बात थी कि हमारा मोबाइल ही हमारा पर्स या वॉलेट बन जाएगा. लेकिन फिर 2016 में यूपीआई यानी 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' की लॉन्चिंग ने इसे संभव कर दिखाया.
आज से करीब एक दशक पहले तक आम आदमी के लिए यह कल्पना से परे की बात थी कि हमारा मोबाइल ही हमारा पर्स या वॉलेट बन जाएगा. लेकिन फिर 2016 में यूपीआई यानी 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' की लॉन्चिंग ने इसे संभव कर दिखाया. कई मामलों में नोटबंदी को नकारात्मक असर के लिए याद किया जाता है लेकिन कम से कम 'यूपीआई' के लिए यह कदम एक तरह से वरदान बन गया.
अब एक रुपए से लेकर हजारों रुपए के पेमेंट में यूपीआई का इस्तेमाल किया जाने लगा है. डिजिटल लेन-देन के आंकड़ों में भारत 117.6 अरब ट्रांजैक्शन के साथ अब दुनिया का नंबर वन देश बन चुका है. साल 2021 में यूपीआई पहली बार देश की सीमाओं को पार करके भूटान गया था. अब तक सात देशों- भूटान, नेपाल, सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, फ्रांस, श्रीलंका में यूपीआई को भुगतान की एक प्रणाली के रूप में मान्यता मिल चुकी है.
अभी हाल ही में मालदीव ने भी इससे जुड़ने का ऐलान किया है. इससे वह आठवां देश बन जाएगा. यूपीआई की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर आज कोई भारतीय फ्रांस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टावर को देखना चाहे तो इसकी ऑनलाइन टिकट भी यूपीआई से खरीदी जा सकती है. यूपीआई की सफलता के चार बड़े कारणों में पहला यह है कि स्मार्टफोन यूजर्स 8 साल में दोगुने हो गए, जो कि वर्तमान में 60 करोड़ हैं.
इसका सीधा असर यूपीआई की प्रगति पर पड़ा है. दूसरा कारण है सस्ता इंटरनेट. पहले 1 जीबी डाटा के लिए लगभग 225 रुपए खर्च करने पड़ते थे, जो 2023 में सिर्फ 15 रुपए हो गया. इसका सीधा फायदा यूपीआई को हुआ. जहां अगस्त 2016 में यूपीआई के जरिये सिर्फ 93 हजार पेमेंट हुए थे, वहीं साल 2023 में 11,765 करोड़ से ज्यादा पेमेंट हुए. तीसरा कारण है स्टार्टअप बूम.
साल 2016 में यूपीआई के शुरू होने के बाद से भारत में 50 से भी ज्यादा यूपीआई एप्स आ गए. इससे डिजिटल पेमेंट का सिस्टम और भी मजबूत हुआ है. चौथा कारण है नोटबंदी. साल 2016 में जब नोटबंदी के चलते भारत सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोट चलन से वापस ले लिए थे तब कई दिनों तक बाजार में नगदी की कमी रही.
नोटबंदी को लेकर तमाम बहस के बावजूद यह कह सकते हैं कि इससे यूपीआई को फायदा हुआ. पहले तो मजबूरी में लोग डिजिटल पेमेंट से जुड़े और फिर यह आदत में आ गया. इससे यूपीआई के जरिये होने वाले पेमेंट 33 गुना तक बढ़ गए.