ब्लॉगः चुनौतियों के बीच रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा निर्यात और व्यापार, दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में दिखाई रुचि

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: April 18, 2023 04:05 PM2023-04-18T16:05:43+5:302023-04-18T16:05:49+5:30

15 मार्च तक रूस, मॉरीशस व श्रीलंका के द्वारा भारतीय रुपए में विदेश व्यापार शुरू करने के बाद अब तक 18 देशों के बैंकों ने रुपए में व्यापार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में रुचि दिखाई है। इससे भारत को निर्यात के मोर्चे पर बड़ा लाभ मिलेगा।

Export and trade reached a record level amid challenges 35 plus countries wanted business in rupees | ब्लॉगः चुनौतियों के बीच रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा निर्यात और व्यापार, दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में दिखाई रुचि

ब्लॉगः चुनौतियों के बीच रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा निर्यात और व्यापार, दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में दिखाई रुचि

13 अप्रैल को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में 447.46 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले 422 अरब डॉलर था। साथ ही यह पिछले वित्त वर्ष में 322.72 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले 254.53 अरब डॉलर था। ऐसे में वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 770.18 अरब डॉलर की सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गया है।

गौरतलब है कि हाल ही में ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 1.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का विदेश व्यापार 1.43 लाख करोड़ डॉलर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का विदेश व्यापार पिछले वर्ष के विदेश व्यापार से और ऊंचाई पर पहुंच सकता है।

नि:संदेह एक अप्रैल 2023 से लागू हुई देश की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) से अब जहां निर्यात तेजी से बढ़ेंगे, वहीं विदेश व्यापार भी छलांगें लगाकर बढ़ेगा। नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की घोषणा की है और वित्त वर्ष 2023-24 में 75 जिलों में एक्सपोर्ट हब बनाए जा सकते हैं। ई-कॉमर्स के माध्यम से होने वाले निर्यात के प्रोत्साहन के लिए अलग से ई-कॉमर्स जोन की स्थापना का भी ऐलान किया गया है। कूरियर सेवा के माध्यम से होने वाले निर्यात की वैल्यू लिमिट को 5 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए प्रति खेप कर दिया गया है। ऐसे में ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक 200 से लेकर 300 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। खास बात यह भी है कि नई एफटीपी के तहत आवेदनों का डिजिटलीकरण किया जाएगा तथा आवेदकों को स्वचालन प्रणाली के जरिये मंजूरी दी जाएगी। पहले निर्यात संबंधी विभिन्न मंजूरियों में तीन दिन से लेकर एक महीने का समय लगता था, अब यह मंजूरी एक दिन में मिलेगी।

नि:संदेह देश निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस समय भारत के तेजी से बढ़ते निर्यातों का ग्राफ इस बात का प्रतीक है कि भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के नए उभरते हुए देश के रूप में उपस्थिति दर्ज करते हुए मानवता के आधार पर दुनिया के जरूरतमंद देशों के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहा है। भारत से खाद्य पदार्थों अनाज, गैर-बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। 

कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में खाद्य उत्पादों का निर्यात 25 अरब डॉलर था, यह वर्ष 2022-23 से 30 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार के द्वारा कृषि क्षेत्र में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया है। गहराई से कृषि निर्यात परिदृश्य का अध्ययन करने के बाद कृषि निर्यात में सुधार के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर दिखाई दे रहा है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है।

खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण भारत के सेवा निर्यात में महत्पूर्ण वृद्धि हुई है। कोविड-19 के बाद दो साल में कुल आईटी सेवाओं के निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कोविड-19 ने अधिकांश उद्योगों को डिजिटल निवेश और मल्टी-चैनल व्यवसाय में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया और कंपनियों को बैक-एंड प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को ज्यादा बेहतर और अनुकूल बनाने के लिए प्रवृत्त किया है। आईटी सेवाओं की कुल सेवा निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें कम्प्यूटर सेवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। फिर पेशेवर और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, तकनीकी और व्यापार से संबंधित सेवाएं और अनुसंधान और विकास क्षेत्रों में भी सेवा निर्यात में प्रभावी वृद्धि हुई है।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिछले वर्ष 2022 में देश से निर्यात बढ़ाने में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की भी प्रभावी भूमिका रही है। यह भी भारत की बढ़ती हुई वैश्विक निर्यात साख की सफलता है कि रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में डॉलर पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिए विदेशी व्यापार का लेन-देन रुपए में करने का प्रस्ताव किया था। 15 मार्च तक रूस, मॉरीशस व श्रीलंका के द्वारा भारतीय रुपए में विदेश व्यापार शुरू करने के बाद अब तक 18 देशों के बैंकों ने रुपए में व्यापार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। दुनिया के 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में रुचि दिखाई है। इससे भारत को निर्यात के मोर्चे पर बड़ा लाभ मिलेगा।

अब देश के विदेश व्यापार को तेजी से बढ़ाने और देश को निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। भारत के द्वारा अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा डिजिटल रुपए की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा।

Web Title: Export and trade reached a record level amid challenges 35 plus countries wanted business in rupees

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे