अर्थव्यवस्था और आम आदमी की चुनौतियां
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 20, 2018 12:48 AM2018-10-20T00:48:55+5:302018-10-20T00:48:55+5:30
हाल ही में 15 अक्तूबर को नई दिल्ली में तेल उत्पादक देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों और तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से भारत जैसे बड़े तेल उपभोक्ता देशों की चिंताएं बढ़ी हैं क्योंकि इनसे पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की खुदरा कीमतें बहुत बढ़ गई हैं।
-जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों देश के आम आदमी से लेकर संपूर्ण अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर तीन अहम आर्थिक-सामाजिक चुनौतियां दिखाई दे रही हैं। एक, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें आर्थिक संकट को बढ़ा रही हैं। दो, महंगाई बढ़ने से उपभोक्ताओं की परेशानियां बढ़ रही हैं और तीन, आयात बढ़ने और निर्यात घटने से विदेशी मुद्रा कोष में कमी आ रही है।
यद्यपि इन तीनों चुनौतियों का संबंध वैश्विक घटनाक्रम से है, लेकिन चूंकि ये चुनौतियां आम आदमी और अर्थव्यवस्था के लिए परेशानियों का सबब बनती जा रही हैं, अतएव इनके समाधान के लिए सरकार द्वारा शीघ्रतापूर्वक विशेष रणनीतिक प्रयास करने जरूरी हैं।
हाल ही में 15 अक्तूबर को नई दिल्ली में तेल उत्पादक देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों और तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से भारत जैसे बड़े तेल उपभोक्ता देशों की चिंताएं बढ़ी हैं क्योंकि इनसे पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की खुदरा कीमतें बहुत बढ़ गई हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कच्चा तेल इसी तरह महंगा होता रहा तो इससे वैश्विक विकास की रफ्तार धीमी हो जाएगी। उन्होंने तेल उत्पादक देशों से अनुरोध किया कि वे अपने निवेश योग्य अधिशेष का विकासशील देशों में निवेश करें और साथ ही भारत को तेल की बिक्री का भुगतान डॉलर की जगह रुपए में स्वीकार करें।
सचमुच यह चिंताजनक है कि कच्चे तेल की कीमतों के नए आसमान छूने की आशंकाएं बढ़ गई है। वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार और अमेरिकी नागरिक जमाल खाशोगी के गायब होने और उनकी हत्या का संदेह होने के मुद्दे पर ट्रम्प प्रशासन के द्वारा सऊदी अरब पर आरोप लगाने के बाद यदि अमेरिका सऊदी अरब के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई करता है, तो सऊदी अरब ऐसा होने पर कच्चे तेल का उत्पादन घटा देगा।
दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब प्रतिदिन एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है। 1973-74 में इजराइल और अरब देशों के बीच लड़ाई के दौरान सऊदी अरब ने कच्चे तेल का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में करके पूरी दुनिया की मुश्किलें बढ़ा दी थीं।
दुनिया के तेल विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक ओर सऊदी अरब तेल उत्पादन घटाकर तेल निर्यात घटाता है तथा दूसरी ओर नवंबर से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध भी लागू हो जाएंगे, ऐसे में कुछ समय में ही कच्चे तेल के दाम 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगे। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 में कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। तब देश ने बढ़ी हुई तेल कीमतों से कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना किया था।
इसमें कोई दोमत नहीं है कि देश में आम आदमी और अर्थव्यवस्था प्रमुख रूप से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई से लगातार पीड़ित होते हुए दिखाई दे रही है। पिछले एक वर्ष में तेल की कीमत रुपए के लिहाज से 70 फीसदी तक बढ़ गई है। इससे महंगाई बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। 15 अक्तूबर को केंद्र ने महंगाई के जो आंकड़े पेश किए हैं वे चिंताजनक रुझान का संकेत देते हैं।
(जयंतीलाल भंडारी भारतीय अर्थव्यवस्था के जानकार और स्तंभकार हैं।)