ब्लॉगः कोविड महामारी, 6.28 लाख करोड़ रुपये, डगमगाती अर्थव्यवस्था को नए राहत पैकेज का सहारा
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: July 1, 2021 04:50 PM2021-07-01T16:50:16+5:302021-07-01T16:51:35+5:30
राहत पैकेज में स्वास्थ्य, पर्यटन और छोटे कर्जदारों के लिए ऋण गारंटी योजना की घोषणा के अलावा आपात ऋण सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) की रकम बढ़ाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का दायरा भी बढ़ाया गया है.
हाल ही में 28 जून को केंद्र सरकार ने कोविड-19 की दूसरी लहर से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को गतिशील करने और समाज के विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए 6.28 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक प्रोत्साहन का एलान किया है.
वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण के द्वारा घोषित इस राहत पैकेज में स्वास्थ्य, पर्यटन और छोटे कर्जदारों के लिए ऋण गारंटी योजना की घोषणा के अलावा आपात ऋण सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) की रकम बढ़ाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का दायरा भी बढ़ाया गया है. गौरतलब है कि नए राहत पैकेज में अर्थव्यवस्था के लिए आठ विभिन्न प्रकार के राहत उपायों की घोषणा की गई है.
नकदी प्रवाह को अहम समर्थन
निश्चित रूप से राहत के कदम बेहतर तरीके से लक्षित हैं. राहत उपाय विभिन्न क्षेत्नों को महामारी के कारण मची उथलपुथल से निपटने में मददगार होंगे. ताजा घोषणाएं प्रमुख रूप से दूसरी लहर से विशेष रूप से प्रभावित विभिन्न क्षेत्नों को पटरी पर लाने और कारोबारों को ऋण की उपलब्धता सुधारने पर केंद्रित है. ईसीएलजीएस राशि बढ़ाए जाने से नकदी प्रवाह को अहम समर्थन मिल सकेगा.
कारोबारी गतिविधियां दोबारा शुरू करने में सहायता
चूंकि पर्यटन और होटल क्षेत्न सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्नों में है, अतएव इस क्षेत्न के लिए राहत पैकेज से संपूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी. सरकार के द्वारा सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा करीब 25 लाख लोगों को प्रदत्त 1.25 लाख रुपए तक के ऋण को गारंटी प्रदान किए जाने और ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध होने से छोटे कारोबारियों और उद्यमियों को कारोबारी गतिविधियां दोबारा शुरू करने में सहायता मिलेगी.
विकास दर में बड़ी कमी
जिस तरह कोविड-19 की दूसरी घातक लहर से अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ-साथ आर्थिक-सामाजिक मुश्किलें तेजी से बढ़ने का परिदृश्य दिखाई दे रहा है, उसके मद्देनजर नए राहत पैकेज की जरूरत अनुभव की जा रही थी. यदि हम वैश्विक वित्तीय संगठनों व क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की अध्ययन रिपोर्टो को देखें तो पाते हैं कि इनमें विकास दर में बड़ी कमी आने की बात कही जा रही है.
23 जून को मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 9.6 प्रतिशत कर दिया है, जो पिछले अनुमान में 13.9 प्रतिशत था. रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर ने अप्रैल और मई में भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया. वायरस के फिर से उभरने के कारण भारत की 2021 की वृद्धि अनुमान को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है.
आरबीआई ने महामारी की दूसरी लहर के बीच
रिपोर्ट में कोविड टीकाकरण की निम्न दर को लेकर चिंता जताई गई है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों और आरबीआई ने महामारी की दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्नों की मदद के लिए कई कदम आगे बढ़ाए हैं.
यदि हम केंद्र सरकार के द्वारा 28 जून को घोषित राहत पैकेज के अलावा पिछले दो महीनों में घोषित किए गए आर्थिक-सामाजिक राहत के प्रावधानों को देखें तो पाते हैं कि केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए एक बार फिर मई 2021 से प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की है. इससे 80 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे. प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण अन्न योजना पर 26000 करोड़ रु. से ज्यादा खर्च होंगे.
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से ज्यादा प्रभावित हुए
आरबीआई ने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की जो सुविधा बढ़ाई है और कर्ज का विस्तार किया है, उससे छोटे उद्योग-कारोबार को लाभ होगा. इस नई सुविधा के तहत 50 करोड़ रु पए तक के बकाये वाले वे कर्जदार अपना ऋण दो साल के लिए पुनर्गठित करा सकते हैं, जिन्होंने पहले मॉरेटोरियम या पुनर्गठन का लाभ नहीं लिया है.
स्वास्थ्य क्षेत्न की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई ने 50,000 करोड़ की नकदी की व्यवस्था की है. इसके अलावा आरबीआई ने 4 जून को पर्यटन, होटल और विमानन जैसे उन क्षेत्नों के लिए 15,000 करोड़ के नकदी समर्थन की घोषणा की, जो कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
हम उम्मीद करें कि सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निर्मित मानवीय पीड़ाओं और आर्थिक-सामाजिक मुश्किलों को कम करने के साथ विकास दर बढ़ाने हेतु 28 जून को जिस राहत पैकेज का ऐलान किया है, उसका शीघ्रतापूर्वक क्रियान्वयन होगा. हम उम्मीद करें कि अब सरकार राहत पैकेज के अलावा नई मांग के निर्माण हेतु लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कर में कटौती सहित आर्थिक प्रोत्साहनों के लिए भी रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी.