China-India relations: चीन से आर्थिक रिश्तों में सावधानी जरूरी
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: November 13, 2024 05:25 AM2024-11-13T05:25:34+5:302024-11-13T05:25:34+5:30
China-India relations: 31 अक्तूबर को खुशियों के महापर्व दीपावली के दिन भारत-चीन सीमा पर भारत-चीन के सैनिकों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली मनाई है.
China-India relations: हाल ही में अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा अमेरिकी उद्योग-कारोबार को हरसंभव तरीके से आगे बढ़ाने की प्राथमिकता के तहत चीन से आयातों पर 60 फीसदी तक टैक्स आरोपित किए जाने की संभावना और विभिन्न यूरोपीय व अन्य कई देशों के द्वारा चीनी आयातों पर असाधारण आयात प्रतिबंध का परिदृश्य है. इसके बीच चीन के साथ भारत के हाल ही में हुए नए सैन्य समझौते के बाद भारत को चीन से आयातों के ढेर से बचने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे. गौरतलब है कि 31 अक्तूबर को खुशियों के महापर्व दीपावली के दिन भारत-चीन सीमा पर भारत-चीन के सैनिकों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली मनाई है.
इस खुशी का कारण यह है कि विगत 23 अक्तूबर को रूस के कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सफल द्विपक्षीय वार्ता हुई और पांच साल बाद हुई इस वार्ता में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया.
भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य करने की इस वार्ता के सफल और सार्थक होने के पीछे एक बड़ा ही महत्वपूर्ण कारण यह भी रहा है कि चीन इस समय अभूतपूर्व विपरीत आर्थिक हालात का सामना कर रहा है. पिछली कुछ तिमाहियों से चीन की अर्थव्यवस्था लगातार धीमी पड़ रही है. चीन की विकास दर घटी है.
22 अक्तूबर को जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी होगी, जबकि भारत की विकास दर 7 फीसदी होगी. चूंकि भारत में चीनी निवेश के लिए नियम कड़े हैं और चीन भारत के बाजार में बढ़ना चाहता है, ऐसे में चीन वार्ता के लिए तत्पर हुआ.
चीन ने इस बात को भी समझा है कि भारत ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट के माध्यम से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करते हुए आयात घटाने व निर्यात बढ़ाने के अभूतपूर्व प्रावधान किए हैं, ताकि चीन का भारतीय बाजारों पर जो दबदबा बना है, उसमें भी कमी आ सके. ऐसे में अब भारत को चीन से आर्थिक वार्ता का जो मौका मिलेगा और चीन से आर्थिक रिश्ते सुधरने की जो संभावना है.
उसके तहत भारत चीन के साथ कारोबार असंतुलन को कम करने के लिए प्रभावी बात कर सकता है. बहरहाल, भारत और चीन के बीच सार्थक वार्ता के बाद भारत को चीन से आर्थिक वार्ता को आगे बढ़ाते समय सावधान और सतर्क रहना होगा. चीन के द्वारा विश्वास तोड़ने के कई मौके भारत भूल नहीं सकता है.