China Import: यह चिंताजनक है कि चीन से आयात भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम(एमएसएमई) को नुकसान पहुंचा रहा है. सस्ते चीनी सामान के कारण छोटी घरेलू कंपनियों के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है, जिससे ये कंपनियां संकट में हैं. थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार आयातित उत्पादों में से कई स्थानीय एमएसएमई द्वारा बनाए जाते हैं और कम लागत वाले चीनी उत्पादों तक आसान पहुंच के कारण उन्हें आगे बढ़ने में कठिनाई होती है. यह पता चला है कि स्थानीय एमएसएमई को छाते, कृत्रिम फूल, चमड़े के सामान और खिलौनों जैसी उत्पाद श्रेणियों में सस्ते चीनी आयातों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है. जनवरी से जून 2024 तक भारत ने चीन को 8.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जबकि 50.4 बिलियन डॉलर का आयात किया.
जिसके परिणामस्वरूप 41.9 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा हुआ. यह कम निर्यात और अधिक आयात चीन को भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा भागीदार बनाता है. भारत के औद्योगिक वस्तुओं के आयात में चीन की हिस्सेदारी 29.8 प्रतिशत है. जानकारों का कहना है कि यह स्थिति चिंताजनक है.
भारत को चीन से महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए गहन विनिर्माण में निवेश करना चाहिए. आयातित उत्पादों में से कई उत्पाद स्थानीय व्यवसायों द्वारा बनाए जाते हैं. सस्ते चीनी सामान से लघु और मध्यम उद्यमों को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ता है. कई एमएसएमई को अपना काम तक बंद करना पड़ता है या कम करना पड़ता है.
ये चुनौतियां भारत में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं. चीन अब ऐसे क्षेत्रों में अपने पैर पसार रहा है जहां हमारे छोटे व्यवसाय पारंपरिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन अब चीनी सामानों के आने के कारण उनकी पूछ-परख कम हो रही है. हमारे कई परंपरागत व्यवसाय और उत्पाद खतरे में हैं. चीनी आयात पर भारी निर्भरता भारतीय एमएसएमई की बाजार हिस्सेदारी को नष्ट कर रही है.
यह ठीक है कि भारत कुछ उत्पादों के लिए दूसरे देशों पर अपनी आयात निर्भरता को पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकता, लेकिन इन छोटे व्यवसायों को सुरक्षित रखने और देश की आर्थिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना ही होगा. इसके लिए असाधारण उपाय करने की आवश्यकता है.
हम व्यापार क्षेत्र में अमेरिका, यूरोप, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ अधिक आयात-निर्यात करके निर्भरता में विविधता ला सकते हैं. पूरी तरह चीन पर निर्भर रहना ठीक नहीं होगा. भारत को अपने उत्पादन क्षेत्र का आकार बढ़ाना होगा. चीन के उत्पाद गुणवत्ता और टिकाऊपन के मामले में कमजोर होते हैं. इस दिशा में हम अच्छा काम करके आगे बढ़ सकते हैं.
चीनी आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना न तो संभव है और न ही उचित. व्यापार आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का आधार होता है. चूंकि भारत-चीन संबंध अक्सर नरम-गरम बने रहते हैं, इसलिए व्यापार के माध्यम से आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने और चुनिंदा घरेलू हितों की रक्षा करने वाला संतुलन खोजना होगा.
चीन से व्यापारिक असंतुलन का एक बड़ा नुकसान यह है कि भारत को बड़े पैमाने पर अपने विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा चीन को सौंपना पड़ रहा है. भारत के लिए इस तरह से व्यापार में किसी एक देश पर ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं है. चीनी आयात पर निर्भरता कम करने से नौकरियों का सृजन और विकास को बढ़ावा देकर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है.