ब्लॉगः क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता का उठ रहा सवाल

By अश्विनी महाजन | Published: April 1, 2023 04:39 PM2023-04-01T16:39:03+5:302023-04-01T16:42:29+5:30

वर्ष 2007-08 के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक भयंकर त्रासदी से गुजरी और लेहमन ब्रदर्स के साथ-साथ सैकड़ों अमेरिकी बैंक दिवालिया हो गए थे। जैसा कि होता रहा है अमेरिका के वित्तीय संकट के कारण पूरे यूरोप के बैंकों पर भी भारी संकट आया और इस वित्तीय संकट ने दुनिया भर के देशों पर भी कुछ न कुछ प्रभाव छोड़ा।

Blog: The question arising of the relevance of credit agencies | ब्लॉगः क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता का उठ रहा सवाल

ब्लॉगः क्रेडिट एजेंसियों की प्रासंगिकता का उठ रहा सवाल

वर्ष 2007-08 के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक भयंकर त्रासदी से गुजरी और लेहमन ब्रदर्स के साथ-साथ सैकड़ों अमेरिकी बैंक दिवालिया हो गए थे। जैसा कि होता रहा है अमेरिका के वित्तीय संकट के कारण पूरे यूरोप के बैंकों पर भी भारी संकट आया और इस वित्तीय संकट ने दुनिया भर के देशों पर भी कुछ न कुछ प्रभाव छोड़ा।

वर्ष 2007-08 का यह संकट अमेरिकी सरकार द्वारा तीन खरब डाॅलर की सहायता से उस समय तो टल गया, लेकिन जानकारों का कहना है कि उस संकट के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर जरूर हुई। दिलचस्प बात यह रही कि दुनिया और महत्वपूर्ण संस्थाओं पर ‘पैनी’ नजर रखने वाली रेटिंग एजेंसियों की भूमिका इस संकट के पहले और इसके दौरान ही नहीं, उसके बाद भी अत्यंत पंगु और संदेहास्पद बनी रही।

मार्च के दूसरे सप्ताह में अमेरिकी टेक स्टार्टअप की फंडिंग करने वाला सिलिकॉन वैली बैंक अचानक बंद हो गया और उसका अधिग्रहण अमेरिकी सरकार ने कर लिया। जानकारों का मानना है कि सिलिकॉन वैली बैंक का डूबना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए ‘लेहमन ब्रदर्स’ के डूबने सरीखा है। 2023 में सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के साथ ही अमेरिकी वित्तीय संकट फिर से गहराने लगा है। उधर, अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों के चलते अमेरिकी सरकार समर्थित मोर्टगेज प्रतिभूतियों और यहां तक कि अमेरिकी ट्रेजरी बिल जो अत्यंत सुरक्षित माने जाते थे, उनकी कीमत में भी नाटकीय ढंग से गिरावट आई। 

सिलिकॉन वैली बैंक के बाद 167 साल पुराना स्विट्ज‌रलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक ‘क्रेडिट सुइस’ स्विट्ज‌रलैंड के सबसे बड़े बैंक ‘यूबीएस’ के हाथों बिक गया। इतिहास ने फिर एक बार अपने को दोहराया है और दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसियां एक बार फिर निवेशकों को जोखिम के बारे में आगाह करने में पूरी तरह से असफल रही हैं। यदि हम देखें तो 8 मार्च, जिस दिन सिलिकॉन वैली बैंक डूबा, से पहले, मूडीज ने इस पर ए3 की रेटिंग बनाए रखी, जो इसके पैमाने पर सातवीं उच्चतम रेटिंग है। उससे ज्यादा दिलचस्प बात यह रही कि उस दिन भी मूडीज ने उसे मात्र एक पायदान नीचे करते हुए बीएए1 तक ही गिराया था।

गौरतलब है कि ए-3 हो या बीएए-1, दोनों रेटिंग ‘जंक’ के पास भी नहीं और निवेशकों को रत्ती भर भी आगाह नहीं करतीं कि इस संस्था में निवेश हेतु कोई जोखिम है। यही बात ‘क्रेडिट सुइस’ के संबंध में भी लागू होती है। ‘क्रेडिट सुइस’ की वेबसाइट पर ही लिखा है कि उसकी क्रेडिट रेटिंग 20 मार्च तक बरकरार रही। यह बात अलग है कि ‘क्रेडिट सुइस’ के डूबने के बाद रेटिंग को थोड़ा गिराया गया है। लेकिन यह बात उजागर हो चुकी है कि रेटिंग एजेंसियां निवेशकों को समय पर चेतावनी देने में बुरी तरह से असफल रही हैं।

Web Title: Blog: The question arising of the relevance of credit agencies

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