जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आर्थिक चुनौतियों का वर्ष रहा 2018  

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: December 30, 2018 09:07 AM2018-12-30T09:07:17+5:302018-12-30T09:07:17+5:30

वर्ष 2018 के अंतिम दिसंबर महीने में देश के समक्ष तीन उभरी हुई चुनौतियां वर्ष 2019 को आर्थिक विरासत के रूप में मिलते हुए दिखाई दे रही हैं. इनमें से एक कच्चे तेल की कीमतों से संबंधित है. दूसरी राजकोषीय घाटा तथा तीसरी किसानों की कर्जमाफी से संबंधित है.

Blog of Jayantilal Bhandari: Year 2018 for Economic Challenges | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आर्थिक चुनौतियों का वर्ष रहा 2018  

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आर्थिक चुनौतियों का वर्ष रहा 2018  

वर्ष 2018 आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों का वर्ष रहा. यद्यपि वर्ष 2018 को वर्ष 2017 से नोटबंदी व जीएसटी के कारण उद्योग-कारोबार की कठिनाई, कम निवेश, कम रोजगार और कम विकास दर जैसी जो कई आर्थिक मुश्किलें विरासत में मिली थी, उनसे वर्ष 2018 पूरी तरह उबर नहीं पाया. लेकिन पूरी दुनिया के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर वैश्विक स्तर पर बढ़े हुए कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर की चढ़ती कीमतों का जितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ा उसकी तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था कम प्रभावित हुई. यही कारण है कि  विभिन्न आर्थिक मुश्किलों के बाद भी 2018 में भारत 7.5 फीसदी विकास दर के साथ विकास दर के मामले में दुनिया में पहले क्रम पर रहा. साथ ही विश्व बैंक की रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.  

वर्ष 2018 में देश का बैंकिंग क्षेत्र लगातार चर्चित रहा. 14 फरवरी, 2018 को पंजाब नेशनल बैंक में देश की बैंकिंग इंडस्ट्री की सबसे बड़ी धोखाधड़ी पकड़ी गई. यह फ्रॉड 13417 करोड़ रु. से अधिक का था. पंजाब नेशनल बैंक ने डायमंड कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ केस दर्ज किया. विजय माल्या के खिलाफ भी धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ. वर्ष 2018 में केंद्र और रिजर्व बैंक के रिश्तों में कड़वाहाट रही, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया और सरकार ने शक्तिकांत दास को नया गवर्नर बनाया. 

वर्ष 2018 के अंतिम दिसंबर महीने में देश के समक्ष तीन उभरी हुई चुनौतियां वर्ष 2019 को आर्थिक विरासत के रूप में मिलते हुए दिखाई दे रही हैं. इनमें से एक कच्चे तेल की कीमतों से संबंधित है. दूसरी राजकोषीय घाटा तथा तीसरी किसानों की कर्जमाफी से संबंधित है. यद्यपि दिसंबर 2018 में कच्चे तेल की कीमतें 45 डॉलर प्रति बैरल हैं तथा डॉलर की तुलना में रुपया 70 के स्तर पर है. लेकिन कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने की आशंका बनी हुई है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह लक्ष्य से करीब एक लाख करोड़ रुपए कम है. विनिवेश लक्ष्य प्राप्ति से दूर है. 

Web Title: Blog of Jayantilal Bhandari: Year 2018 for Economic Challenges

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