Blog: शेयर मार्केट में खतरे की नई आहट

By Prakash Biyani | Published: February 22, 2019 11:46 AM2019-02-22T11:46:46+5:302019-02-22T11:46:46+5:30

शेयर मार्केट के छोटे निवेशक सूचकांक देखकर शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. वे कंपनी की बैलेंस शीट नहीं पढ़ते फलत: उन्हें पता ही नहीं चलता कि प्रमोटरों ने अपने कितने शेयर गिरवी रखे हुए हैं

Blog: A New Danger of Danger in the Stock Market | Blog: शेयर मार्केट में खतरे की नई आहट

Blog: शेयर मार्केट में खतरे की नई आहट

शेयर मार्केट के छोटे निवेशक सूचकांक देखकर शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. वे कंपनी की बैलेंस शीट नहीं पढ़ते फलत: उन्हें पता ही नहीं चलता कि प्रमोटरों ने अपने कितने शेयर गिरवी रखे हुए हैं. खाता-बही की इस ‘लीपा-पोती’ (विंडो ड्रेसिंग) के कारण हाल ही में अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर धाराशायी हुए. रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान हुआ तो सेबी सतर्क हो गई है. हो सकता है कि सेबी शेयर गिरवी रखकर क्विक मनी जुटाने की सीमा तय कर दे.  

डाटा एनालिस्ट कैपिटालाइन के मुताबिक कारोबारी जरूरतों के साथ निजी खर्च के लिए भारतीय कंपनियों के प्रमोटरों में शेयर गिरवी रखने का ट्रेंड बढ़ गया है. वित्त वर्ष 2016 में इन कारोबारियों ने इस रूट से 13533 करोड़ रुपए जुटाए थे. चालू वित्त वर्ष में यह राशि 123248  करोड़ रुपए हो गई है. पूंजी जुटाने का यह शॉर्टकट शेयर मूल्यों में  मैनिप्युलेशन को बढ़ावा देता है जो खतरे की आहट है. तीन वर्ष में यह राशि आठ गुना होने का एक कारण है- इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्सी  कोड. दिवालिया  कानून के लागू होने के बाद बैंकों के एनपीए की वसूली तेज और आसान हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ और बैंकरप्सी कोड लागू होने के पहले बैंकर कर्ज वसूली के लिए अदालत जाने की धमकी देते थे तो कर्जदार फिक्रमंद नहीं होता था. वह जानता था कि 20 साल तक तो कर्ज नहीं चुकाना पड़ेगा. अब डरता है कि दिवालिया घोषित करके छह महीने में उसकी कंपनी नीलाम कर दी जाएगी. 

डिफॉल्टर कंपनियों के प्रमोटरों ने संपदा औने-पौने दाम पर बिकने और दिवालिया होने की बदनामी से बचने के लिए पूंजी जुटाने का यह शॉर्टकट अपनाया है. बैंक खासकर निजी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां इस मामले में उनकी तारणहार हैं. वे मार्केट मूल्य को आधार बनाकर उसके कंपनी शेयर के बदले तत्काल कर्ज दे देती हैं. मार्केट में जब तक शेयर मूल्य स्थिर रहते हैं या बढ़ते हैं, यह कर्ज सुरक्षित रहता है. मूल्य घटते हैं तो साहूकार मार्जिन मनी मांगता है. कर्जदार यह राशि नहीं जमा करवाए तो साहूकार गिरवी रखे शेयर मार्केट में बेच सकता है. शेयर का बड़ा लॉट मार्केट में आने से शेयर मूल्यों में भारी घट-बढ़ होती है और छोटे निवेशक ठगे जाते हैं. 

शेयर मार्केट में हर पल प्राइस वॉर होता है. जो शेयर मार्केट खुलते समय गगनचुंबी होता है, बंद होते समय पातालमुखी. अत: उन्हीं रिटेल निवेशकों को इस मार्केट में अपनी बचत निवेश करना चाहिए जिनमें धैर्य हो. जो कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ और समझ सकें. यहां खूब कमाई की संभावना खूब है पर इंतजार करना पड़ता है. दुनिया के सबसे बड़े शेयर मार्केट निवेशक वॉरेन बफे ने कहा है कि स्टॉक मार्केट में पैसा कमाने में 20 साल लगते हैं और गंवाने में बस पांच मिनट. उनके इस कथन का निहितार्थ है जिनके पास धैर्य है वे ही शेयर मार्केट में अपनी बचत का निवेश करें. 

Web Title: Blog: A New Danger of Danger in the Stock Market

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