भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति 

By भरत झुनझुनवाला | Published: January 30, 2019 06:29 PM2019-01-30T18:29:11+5:302019-01-30T18:29:11+5:30

समस्या का दूसरा हल यह सुझाया जा रहा है कि ब्राजील की तरह से गन्ने का उपयोग एथनाल या डीजल बनाने के लिए कर लिया जाए.

Bharat Jhunjhunwala's Blog: Minimum Support Price Policy | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति 

सांकेतिक तस्वीर

देश के किसानों की हालत सुधरती नहीं दिख रही है. सरकार का प्रयास है कि तमाम फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों को बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि की जाए लेकिन किसान की हालत सुधर नहीं रही है. समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने के बावजूद कुछ फसलों के बाजार में दाम न्यून बने हुए हैं. दूसरी फसलों के समर्थन मूल्य बढ़ कर मिल रहे हैं.एक प्रस्तावित हल है कि चीनी के अधिक उत्पादन का निर्यात कर दिया जाए. यहां समस्या यह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का दाम भारत की तुलना में कम है. चूंकि भारत में गन्ने का दाम लगभग 300 रुपया प्रति क्विंटल यानी 43 डॉलर प्रति टन है जबकि अमेरिका में गन्ने का दाम 31 डॉलर प्रति टन है. तदनुसार विश्व बाजार में चीनी के दाम भी कम हैं.

समस्या का दूसरा हल यह सुझाया जा रहा है कि ब्राजील की तरह से गन्ने का उपयोग एथनाल या डीजल बनाने के लिए कर लिया जाए. ब्राजील ने इस पालिसी को बखूबी अपनाया है. वहां जब विश्व बाजार में चीनी के दाम अधिक होते हैं तो गन्ने से चीनी का उत्पादन किया जाता है और उस चीनी को ऊंचे दामों पर निर्यात कर दिया जाता है. इसके विपरीत जब विश्व बजार में चीनी के दाम कम होते हैं तो उसी गन्ने से एथनाल बनाया जाता है. एथनाल का उपयोग डीजल की तरह कार चलने के लिए किया जा सकता है. इस पालिसी को भारत में भी लागू करने का प्रयास किया जा रहा है.

हमारे लिए एकमात्र उपाय यह है कि हम गन्ने का उत्पादन कम करें. कमोबेस यही पालिसी दूसरी फसलों पर भी लागू होती है. गेहूं का उत्पादन बढ़ा कर हमें कुछ वर्ष पूर्व उसका भी निर्यात करने के लिए सोचना पड़ा था.  न्यूनतम समर्थन मूल्य का उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है. इसके लिए गेंहूं और धान की फसलों मात्र पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए जिससे कि देश की जरूरत के लिए इन मूल फसलों का पर्याप्त उत्पादन हो. शेष फसलों जैसे सरसों, गन्ना इत्यादि पर समर्थन मूल्य की व्यवस्था को हटा देना चाहिए. ऐसा करने से गन्ने का दाम जो वर्तमान में 300 रुपए प्रति क्विंटल है वह घटकर लगभग 200 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा जोकि अंतर्राष्ट्रीय दाम के बराबर होगा.

किसान की आय बढ़ाने के लिए फसलों के उत्पादन और मूल्य को बढ़ाने की नीति घातक है. चूंकि देश के पास इतना पानी ही नहीं है. अत: हमको उत्पादन घटाकर किसान की स्थिति में सुधार लाना होगा.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's Blog: Minimum Support Price Policy

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