सिने क्रांतिधारा के आविष्कारक ऋत्विक घटक और ऋणी स्कोर्सेसे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 9, 2025 07:12 IST2025-12-09T07:10:42+5:302025-12-09T07:12:54+5:30

आधुनिक भारतीय नृत्य के अग्रदूत एवं फिल्मकार उदयशंकर की 1948 की ‘कल्पना’, सत्यजित राय की 1970 की ‘अरण्येर दिन रात्रि’, गिरीश कसरावल्ली की ‘घटश्राद्ध’, अरविंदन गोविंदन की 1977 की ‘कुमति’ और 1979 की ‘थम्प’ का पुनरुद्धार भी इसी फाउंडेशन ने किया है, ताकि वे खो न जाएं.

Ritwik Ghatak inventor of cinematic revolution and Scorsese the indebted one | सिने क्रांतिधारा के आविष्कारक ऋत्विक घटक और ऋणी स्कोर्सेसे

सिने क्रांतिधारा के आविष्कारक ऋत्विक घटक और ऋणी स्कोर्सेसे

सुनील सोनी

कोई इस पर एतराज कर सकता है कि ऋत्विक घटक को पौराणिक मिथकों के इस्तेमाल में पुनर्जन्म की अवधारणा भी पसंद थी. जब उन्होंने बिमल रॉय के लिए ‘मधुमती’ लिखी, तो उनके मन में कहीं वैसा पुनर्जन्म रहा होगा, जैसे तमिल में के. बालचंदर ने 1974 में ‘अवल ओरू थोधर कथई’ में ‘कविता’ और 1977 में गिरीश कासरवल्ली ने ‘घटश्राद्ध’ में  ‘यमुना’ को ‘मेघे ढाका तारा’ की नीता के पुनर्जन्म में दोहराया. शेक्सपियर के पौराणिक नाटक ‘द टेम्पेस्ट’ की कविता ‘क्लाउड कैप्ड टॉवर’ से उन्हें इसका ख्याल आया था.

लेकिन, पौराणिक महाकाव्यों से विभाजन, विस्थापन, भूख जैसी सामूहिक और त्याग जैसी व्यक्तिगत त्रासदियों को बयान करके मानवीय अंतर्द्वंद्वों को उभारना वे खूब जानते थे.

घटक भारतीय सिनेधारा में नया प्रवाह के अगुआ थे, जैसे यूरोप के सिनेमा में फ्रांसुआ त्रूफो. एक ही विचार पूरी दुनिया में कई महान लोगों के मन में एक ही समय में कौंध सकता है, इसे घटक की 1958 में रिलीज ‘बाड़ी ठेके पालिये’ और त्रूफो की 1959 में रिलीज ‘द 400 ब्लोज’ के रूप में देखा जा सकता है.

एक ही विषय-वस्तु और भाव. दोनों की आत्मत्रासदी के टुकड़े. त्रूफो को पूरी दुनिया ने इस कहानी के जरिये पहचाना और समानांतर सिनेमा के पुरोधा के रूप में स्थापित किया. उससे एक साल पहले ही घटक इस संवेदनशील कथा को परदे पर बारीकी से बुनकर पेश कर चुके थे, पर भारत में वह अनदेखी रह गई. त्रूफो की आत्मत्रासदी पांच खंडों में व्यक्त होती है और घटक की तीन खंडों में. ‘मेघे ढाका तारा’, ‘कोमल गांधार’, ‘स्वर्णरेखा’ की यह त्रयी, अकाल, दंगों, विभाजन और विस्थापन के दर्द से होकर गुजरने की वजह से लगे जीवन के दागों से ही उपजी.

2025, 4 नवंबर को जन्मे घटक का जन्मशती वर्ष है. नागपुर में ‘सिने मोंटाज’ की तरह देश और दुनिया में नामचीन फिल्म संस्थान और समितियां सालभर तक उनकी याद में सिने समारोहों के सिलसिले चला रही हैं. पुणे के जिस भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई)  को देशभर में ऐसे आयोजनों की सांस्थानिक श्रृंखला चलानी चाहिए थी, उसने प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि देकर इति कर ली. वही संस्थान, जिसमें उन्होंने पढ़ाया और उनके गंडा-मुक्त शिष्यों में अदूर गोपालकृष्णन, मणि कौल, मीरा नायर, केतन मेहता, सईद अख्तर मिर्जा, जॉन अब्राहम और कुमार शाहनी जैसे भारतीय फिल्मजगत के सितारों ने उनकी धारा को आगे बढ़ाया.

‘द 400 ब्लोज’ के कान फिल्मोत्सव में दिखाए जाने के तकरीबन 61 साल बाद समकालीन दिग्गज फिल्मकार मार्टिन स्कोर्सेसे ने तय किया कि वे ऋत्विक घटक की हाइपरलिंक सिनेकृति ‘तितास एकटी नदीर नाम’ को इस वैश्विक मंच पर ले जाएंगे, क्योंकि वे अपनी सिने-समझ पर घटक का असर महसूस करते हैं. 2007 में स्कोर्सेसे की पहल पर अमेरिकी फिल्मकारों के नेतृत्व में बने ‘द फिल्म फाउंडेशन’ ने वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट के तहत ऋत्विक घटक की दो फिल्मों ‘मेघे ढाका तारा’ 1960 और ‘तितास एकटी नदीर नाम’ 1973 का रिस्टोरेशन किया है. आधुनिक भारतीय नृत्य के अग्रदूत एवं फिल्मकार उदयशंकर की 1948 की ‘कल्पना’, सत्यजित राय की 1970 की ‘अरण्येर दिन रात्रि’, गिरीश कसरावल्ली की ‘घटश्राद्ध’, अरविंदन गोविंदन की 1977 की ‘कुमति’ और 1979 की ‘थम्प’ का पुनरुद्धार भी इसी फाउंडेशन ने किया है, ताकि वे खो न जाएं.

यह बहस लगातार रही है कि ऋत्विक घटक, सत्यजित राय, मृणाल सेन की असाधारण तिकड़ी में से कौन पहला? लेकिन, सत्यजित राय के जरिये ही उनका काम अंतरराष्ट्रीय हुआ. यूं घटक 1955 में ही ‘अजांत्रिक’ बनाकर नई धारा बना चुके थे. हॉलीवुड में हर्बी फिल्मों में श्रेय न हो, पर प्रेरित तो रही हैं. वे हिंदी में 1957 में ऋषिकेश मुखर्जी के लिए ‘मुसाफिर’ लिखते हैं और 1958 में बिमल राॅय के लिए ‘मधुमती.’ वही ‘मधुमती’, जिसकी कथा बाद में बॉलीवुड में ‘कर्ज’, ‘ओम शांति ओम’ और हॉलीवुड में ‘दि रिइनकॉर्नेशन ऑफ पीटर प्राउड’ जैसे  वाणिज्यिक सिनेमा में दुधारू गाय की तरह इस्तेमाल हुई.

घटक के नाम 13 वृत्तचित्र भी हैं, जिनमें उस्ताद अलाउद्दीन खान समेत तीन तो हिंदी में हैं. किंवदंती है कि इंदिरा गांधी ने उनके वृत्तचित्र के फिल्मांकन के लिए फ्लाइट छोड़ दी थी. हालांकि, उसके साथ ख्यातनाम शिल्पी रामकिंकर बैज समेत छह वृत्तचित्र ऐसे रहे, जो कभी पूरे न हो पाए. अधूरी कृतियों की यह सूची लंबी है. रंगमंच पर उनकी 37 से अधिक छाप हैं. कई कहानियों, निबंधों, साक्षात्कारों और तथ्यज पुस्तकों के अलावा सिनेमा पर उनकी मशहूर किताब ‘सिनेमा एंड आई’ नायाब है.

Web Title: Ritwik Ghatak inventor of cinematic revolution and Scorsese the indebted one

बॉलीवुड चुस्की से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे