केंद्र में मंत्री पद संभालते ही चिराग के सुर बदलने से NDA की बढ़ रही परेशानी, BJP के लिए बन सकते हैं विलेन
By एस पी सिन्हा | Published: August 26, 2024 04:59 PM2024-08-26T16:59:57+5:302024-08-26T17:11:25+5:30
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से वह भाजपा को तनाव देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एनडीए सरकार में जगह मिलते ही एससी-एसटी के आरक्षण का मुद्दा हो या वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक या फिर लेटरल एंट्री, हर जगह उन्होंने मोदी सरकार के विरोध में आवाज उठाई।
पटना: एनडीए से दूर रहने के दौरान खुद को 'पीएम मोदी का हनुमान' बताने वाले लोजपा(रा) प्रमुख चिराग पासवान के केंद्र में मंत्री पद संभालते ही सुर बदलने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। ऐसे में यह पूछा जाने लगा है कि चिराग पासवान क्या भाजपा के लिए ‘सिरदर्द’ बनते जा रहे हैं? दरअसल, इन दिनों चिराग पासवान कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से चिराग पासवान भाजपा, एनडीए और मोदी सरकार के लाइन से बिल्कुल अलग राय रख रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से वह भाजपा को तनाव देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एनडीए सरकार में जगह मिलते ही एससी-एसटी के आरक्षण का मुद्दा हो या वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक या फिर लेटरल एंट्री, हर जगह उन्होंने मोदी सरकार के विरोध में आवाज उठाई।
अब वह जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी विपक्ष के साथ खड़े दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ जनता तक सही से पहुंचाने के लिए सरकार के पास जाति-आधारित आंकड़ा होना चाहिए।
चिराग ने साफ कहा कि हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना वाली मांग का समर्थन किया है। ऐसे में यह कहा जाने लगा है कि चिराग पासवान अब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
इतना ही नहीं उन्होंने झारखंड में भी भाजपा के खिलाफ 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर भाजपा की चिंता को और बढा दिया है। सियासत के जानकारों के अनुसार पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान अब अलग राह पर चल पड़े हैं। चिराग के हालिया बयानों से भाजपा और एनडीए काफी असहज महसूस कर रही है।
जानकार कहते हैं कि पिता की तरह वह भी बड़े मौसम वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। लेकिन भाजपा के लिए भी मजबूरी है कि वह अभी कुछ कर नहीं सकती। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि 12 सांसद जीतकर जदयू जैसी पार्टियां जहां गंभीर नजर आ रही हैं, वहीं, भाजपा की वैशाखी पर 5 सीट जीतने वाले चिराग पासवान अब आंखें दिखाने लगे हैं।
ऐसे में कयास यह भी लगाए जाने लगे हैं कि आने वाले दिनों सियासी महत्वाकांक्षा में चिराग पासवान भाजपा के लिए विलेन भी बन सकते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उनकी नजर अभी से बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है। वह बिहार का मुख्यमंत्री बनने का सपना पालने लगे हैं। ऐसे में संभव है कि और सियासी ताकत बढने पर एनडीए को लंगडी मारने से वह नही चुकेंगे।