BWF वर्ल्ड टूर फाइनल्स: सिंधु को मिला मुश्किल ड्रा, समीर के पास नॉक आउट में पहुंचने मौका
By भाषा | Published: December 10, 2018 07:19 PM2018-12-10T19:19:12+5:302018-12-10T19:19:12+5:30
साइना नेहवाल सात बार इस टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करने में सफल रही। वह 2011 के सत्र के फाइनल में पहुंचीं थी।
ग्वांगझू (चीन): ओलंपिक रजत पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को बुधवार से शुरू हो रहे बीडबल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स के महिला एकल में मुश्किल ड्रा मिला है जबकि टूर्नामेंट में पदार्पण कर रहे समीर वर्मा की कोशिश एकल वर्ग के नॉक आउट दौर में जगह बनाने की होगी।
पिछले साल दुबई में हुए इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही सिंधु को गत चैम्पियन जापान की अकाने यामागुची, विश्व नंबर एक चीनी ताइपे की ताइ जु यिंग और अमेरिका की बीवेन झांग के साथ ग्रुप-ए में रखा गया है।
समीर ने पिछले महीने सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपने खिताब का बचाव करते हुए अंतिम लम्हों में इस 15 लाख डॉलर इनामी राशि के टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई किया। उनके ग्रुप में जापान के विश्व नंबर एक केंतो मोमोता, इंडोनेशिया के टामी सुगियार्तो और थाईलैंड के कांताफोन वानचारोइन हैं। दोनों ग्रुप से शीर्ष दो खिलाड़ी सेमीफाइनल में पहुंचेंगे जिसके बाद नाकआउट दौर के मुकाबले होंगे।
टूर्नामेंट में लगातार तीसरी बार दावेदारी पेश कर रही सिंधु का यामागुची के खिलाफ जीत-हार का 9-4 का रिकॉर्ड है लेकिन इस सत्र में जापानी खिलाड़ी ने उन्हें पांच में से चार मुकाबलों में हराया है।
हैदराबाद की 23 साल की इस खिलाड़ी के लिए एशियाई खेलों की चैम्पियन ताइ जु यिंग की चुनौती से पार पाना काफी मुश्किल रहा है जिन्होंने सिंधु को पिछले छह मुकाबले में हराया है। सिंधु ने उन्हें पिछली बार 2016 रियो ओलंपिक में हराया था।
झांग के खिलाफ सिंधु का रिकार्ड 3-3 का है लेकिन पिछले तीन मुकाबलों में अमेरिकी खिलाड़ी भारतीय खिलाड़ी पर भारी रही है जिसमें इंडिया ओपन विश्व टूर सुपर 500 टूर्नामेंट का फाइनल भी शामिल है।
किदांबी श्रीकांत के बाद टूर्नामेंट का टिकट पाने वाले दूसरे भारतीय पुरुष बने समीर के लिए चुनौती थोड़ी आसान है। सुगियार्तो और वानचारोइन के खिलाफ उनका रिकार्ड 1-1 का है। उनकी मुख्य चिंता मोमोता की चुनौती से पार पाना होगा जिन्हें भारतीय खिलाड़ी ने स्विस ओपन में खिताबी जीत के दौरान हराया था। स्विस ओपन के बाद जापान का यह खिलाड़ी इस खेल की बड़ी ताकत के रूप में उभरा है।
इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को पहले सुपर सीरिज फाइनल के नाम से जाना जाता था जिसके लिए साइना नेहवाल सात बार क्वालिफाई करने में सफल रही। वह 2011 के सत्र के फाइनल में पहुंचीं थी। ज्वाला गुट्टा और वी दीजू की भारतीय मिश्रित युगल जोड़ी 2009 में इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही थी।