सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बढ़ी मुसीबत, ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर अब IPC के तहत भी दर्ज होगा केस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2019 09:01 AM2019-10-08T09:01:03+5:302019-10-08T09:01:03+5:30
फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा, ''हमारी राय में आईपीसी और मोटर व्हीकल अधिनियम के प्रावधानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है. दोनों कानून के तहत अपराध अलग-अलग और एक-दूसरे से पृथक हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर व्हीकल कानून के तहत तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाने जैसे अपराध करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है. न्यायालय के अनुसार दोनों कानून अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. न्यायालय ने कहा कि भारत सड़क यातायात में लोगों के जख्मी होने और जान गंवाने के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है. इसी के साथ न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 22 दिसंबर 2008 के आदेश को रद्द कर दिया.
हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी के खिलाफ मोटर व्हीकल कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, ''इस न्यायालय ने बार-बार कहा है कि मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 अपने-आप में पूरी संहिता है. हालांकि, मोटर व्हीकल दुर्घटनाओं से संबंधित अपराध के लिए आईपीसी के तहत मुकदमा चलाने पर कोई रोक नहीं है.''
शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों कानूनों के तहत अपराध के घटक अलग-अलग हैं, लेकिन आरोपी के खिलाफ दोनों कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर सजा दी जा सकती है. पीठ ने स्पष्ट किया कि विशेष कानून के सामान्य कानून पर प्रभावी होने का सिद्धांत आईपीसी और मोटर व्हीकल कानून के तहत सड़क दुर्घटना के अपराध के मामलों पर लागू नहीं होता है.
पीठ की तरफ से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा, ''हमारी राय में आईपीसी और मोटर व्हीकल अधिनियम के प्रावधानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है. दोनों कानून के तहत अपराध अलग-अलग और एक-दूसरे से पृथक हैं. दोनों कानूनों के तहत दंड भी स्वतंत्र और एक-दूसरे से अलग है.''
दिया था ये निर्देश
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को मोटर व्हीकल दुर्घटनाओं से संबंधित अपराधों के लिए आरोपियों के खिलाफ मोटर व्हीकल कानून के प्रावधानों के तहत ही मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था. उच्च न्यायालय ने इन मामलों में भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा नहीं चलाने के लिए अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने को कहा था.