नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, 'बजट में ई-वाहनों को प्रोत्साहित किये जाने के स्पष्ट संकेत'
By भाषा | Published: July 7, 2019 07:31 PM2019-07-07T19:31:46+5:302019-07-07T19:31:46+5:30
पिछले महीने आयोग ने दोपहिया और तिपहिया वाहन निर्माताओं को ई-वाहन अपनाने के लिए दो सप्ताह के भीतर ठोस कदमों के बारे में बताने को कहा था। कुमार ने कहा, ''भारत का भविष्य ई-वाहन उद्योग में है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष के केंद्रीय बजट से इस बात के स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि सरकार बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना चाहती है। इसके लिए घरेलू कंपनियों को चाहिए कि वे इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी बनने के लिए खुद को तैयार करें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने शुक्रवार को अपने पहले बजट भाषण में बैटरी से चलने वाले वाहन खरीदने के ऋण पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर आयकर में डेढ़ लाख रुपये तक की अतिरिक्त कर कटौती का लाभ देने की घोषणा की थी।
कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' से साक्षात्कार में कहा, ''मुझे आशा है कि पहले नीति आयोग और अब बजट के जरिए पूरे वाहन उद्योग को सरकार का संकेत मिल गया होगा।'' नीति आयोग ने 2023 तक तिपहिया श्रेणी और 2025 तक 150 सीसी तक की दोपहिया वाहन श्रेणी को पूरी तरह से ई-वाहन के रूप में बदलने की योजना बनायी है।
पिछले महीने आयोग ने दोपहिया और तिपहिया वाहन निर्माताओं को ई-वाहन अपनाने के लिए दो सप्ताह के भीतर ठोस कदमों के बारे में बताने को कहा था। कुमार ने कहा, ''भारत का भविष्य ई-वाहन उद्योग में है। पूरी तरह से दोपहिया एवं तिपहिया ई-वाहन को अपनाने की समयसीमा के बारे में 21 जून की बैठक में भी मैंने कहा था कि हम इस बारे में बात कर सकते हैं।''
उन्होंने कहा, ''लेकिन हमें समयसीमा तय करनी होगी। बस हम कहते रहें और बाजार समयसीमा तय करे, यह स्वीकार्य नहीं है क्योंकि ऐसे में हमें वह निवेश एवं प्रतिबद्धता नहीं मिलेगी, जैसी हम इस क्षेत्र में चाहते हैं।'' उन्होंने कहा कि ई-वाहन उभरता हुआ क्षेत्र है और भारत इस क्षेत्र में दुनिया भर में अग्रणी स्थान हासिल कर सकता है। विनिवेश के बारे में पूछे गए सवाल पर कुमार ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में 1.05 लाख करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
लाभ कमा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ''मुझे मुनाफा कमा रही पीएसयू के निजीकरण में कोई बुराई नजर नहीं आती क्योंकि आपको अच्छा मूल्य मिल सकता और कार्यकुशलता बढ़ सकती है।''