स्टिंग ऑपरेशन के जरिये हासिल किया केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की कार का फर्जी टैग, प्रदूषण जांच केंद्र के खिलाफ मुकदमा
By भाषा | Published: September 19, 2019 05:44 AM2019-09-19T05:44:55+5:302019-09-19T05:44:55+5:30
1 सितंबर 2019 से मोटर वाहन संशोधित कानून अमल में आ गया है। संशोधित कानून के अनुसार वाहन चालक यदि नियमों का पालन नहीं करते हैं तो पुराने जुर्माने के मुकाबले कई गुना अधिक जुर्माना देना पड़ रहा है। जिसके चलते वाहन चालक भयभीत हैं।
पुणे पुलिस ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की कार बताकर फर्जी प्रदूषण जांच टैग जारी करवाने के मामले में एक प्रदूषण जांच केंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि जिस कार का प्रदूषण जांच टैग जारी किया गया है वह वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी की नहीं है लेकिन उनके नाम पर यह प्रमाण पत्र हासिल किया गया।
उन्होंने बताया कि टैग एक मीडिया समूह ने स्टिंग ऑपरेशन के तहत हासिल किया ताकि दिखाया जा सके कि प्रदूषण जांच टैग हासिल करना कितना आसान है। अधिकारी ने बताया कि इसी तरह का मामला पुणे के भोसरी स्थित प्रदूषण जांच केंद्र के खिलाफ भी दर्ज किया गया है।
ऐसी रिपोर्ट है कि नागपुर और चंद्रपुर में भी फर्जी प्रदूषण जांच टैग जारी किए गए जिसमें वाहनों का मालिक गडकरी को बताया गया। अधिकारी ने बताया कि इन वाहनों को नियमों के मुताबिक प्रदूषण जांच केंद्र पर नहीं ले जाया गया।
बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के चलने पर 10 हजार रुपये जुर्माना और 6 माह की सजा का है प्रावधान-
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की दिल्ली में दौड़ने वाली कार का पीयूसी प्रमाणपत्र नागपुर, पुणे और चंद्रपुर के पीयूसी सेंटरों ने बगैर कार देखे ही जारी कर दिया। किसी ने भी वाहन की जांच करना तो दूर यह पूछने तक की जरूरत नहीं समझी कि वाहन कहां है?
उल्लेखनीय है कि यह कार केंद्रीय मंत्री गडकरी के नाम पर है और वह तीन वर्षों से दिल्ली में है। इस कार का उपयोग गडकरी स्वयं करते हैं। किसी भी वाहन के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) उस वाहन की जांच करके दिया जाना चाहिए। इसके बाद ही वह सड़क पर आती है। अन्यथा मोटर वाहन संशोधित कानून के अनुसार इसके लिए 10 हजार रुपये का जुर्माना और छह माह तक की सजा भोगनी पड़ती है।
दिल्ली में पीयूसी के लिए लगी हैं वाहनों की कतारें
1 सितंबर 2019 से मोटर वाहन संशोधित कानून अमल में आ गया है। संशोधित कानून के अनुसार वाहन चालक यदि नियमों का पालन नहीं करते हैं तो पुराने जुर्माने के मुकाबले कई गुना अधिक जुर्माना देना पड़ रहा है। जिसके चलते वाहन चालक भयभीत हैं। दिल्ली में तो अपने वाहनों के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र लेने के इच्छुक वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।
कैसे होती है प्रदूषण की जांच
प्रदूषण जांच केंद्र पर कम्प्यूटर से जुड़ा एक गैस एनालाइजर होता है। इस कम्प्यूटर में कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा होता है। गैस एनालाइजर को वाहन के साइलेंसर में डालते हैं। वाहन को चालू रखा जाता है। यह गैस एनालाइजर वाहन से निकलने वाले धुएं के स्तर की जांच करता है और आंकड़े कम्प्यूटर को भेजता है। वहीं, कैमरा गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है। यदि वाहन से तय दायरे में प्रदूषण निकल रहा है, तो उसका पीयूसी प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है।