तो अब कार चलाते समय बार-बार गियर बदलने का झंझट खत्म, क्लच दबाने से भी मिलेगी छुट्टी, नहीं होगी थकान
By रजनीश | Published: April 22, 2020 10:36 AM2020-04-22T10:36:17+5:302020-04-22T10:36:17+5:30
अमेरिका और कई अन्य पश्चिमी देशों की मार्केट में मैनुअल गियरबॉक्स की वाहनों की बिक्री में गिरावट देखने को मिली है। हाल के दिनों में इनकी बिक्री में काफी कमी आई है।
पिछले 1-2 सालों में आपने देखा होगा कि अब ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों की संख्या काफी ज्यादा देखने को मिलने लगी है। यहां तक कि कई कंपनियों की बजट रेंज की कार में भी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन दिया जा रहा है। ट्रांसमिशन को सरल भाषा में कहें तो यह वाहन का गियर होता है। ये मुख्य तौर पर दो तरह के होते हैं। एक होता है मैन्युअल ट्रांसमिशन और दूसरा ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन। मैन्युअल ट्रांसमिशन वो है जिसे आप अभी तक देखते आ रहे हैं या कहें कि जिसमें आप क्लच को दबाकर जरूरत के मुताबिक गियर कम या ज्यादा करते हैं। वहीं ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में आपको गियर बदलने की चिंता करने की जरूरत ही नहीं होती। गाड़ी की स्पीड और जरूरत के मुताबिक गियर खुद बदलता रहता है।
हाल ही में Edmunds द्वारा इकट्ठा किए गए और CNBC द्वारा पेश किए आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में 327 नए वाहनों में से सिर्फ 41 में अब मैनुअल ट्रांसमिशन का ऑप्शन मिलता है। इसका मतलब यह है कि देश में लॉन्च होने वाली ज्यादातर नई कारों ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन दिया जा रहा है। ऐसे में ऑटोमैटिक कार खरीदने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है।
अमेरिका और कई अन्य पश्चिमी देशों की मार्केट में मैनुअल गियरबॉक्स की वाहनों की बिक्री में गिरावट देखने को मिली है। हाल के दिनों में इनकी बिक्री में काफी कमी आई है। कंपनियां भी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन को और ज्यादा स्मूद और परफेक्ट बनाने के प्रयास में लगातार लगी हुई हैं और पहले के मुकाबले काफी सफल भी हुई हैं।
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के फायदे भी कई हैं। पहला तो बार-बार गियर बदलने और क्लच पर प्रेशर देने से हाथ-पैर में होने वाली थकान से राहत मिलती है। दूसरा ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली गाड़ियों में एवरेज भी बेहतर मिलता है। लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी वाले ऑटोमैटिक गियरबॉक्स में मैन्युअल गियरबॉक्स की तुलना में बराबर पॉवर मिलता है। कई कार तो ऐसी हैं कि उनका ऑटोमैटिक गियरबॉक्स ज्यादा बेहतर है उनके मैन्युअल गियरबॉक्स के काम करने की तुलना में। हालांकि अभी भी कई कंपनियां अपनी महंगी कारों में भी कम से कम एक मॉडल मैन्युअल गियरबॉक्स का जरूर देती हैं।
विदेशों के बाद अब भारत में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का ट्रेंड तेजी से देखने को मिल सकता है। हालांकि यहां कंपनियां अन्य तरीकों से ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का विकल्प पेश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए मारुति सुजुकी को देखें तो यह कंपनी अपनी कारों में तीन तरह के ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन ऑटो गियर शिफ्ट (AGS) कंटीन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT) और और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (AT) प्रदान करती है। और पिछले 5 साल में कंपनी ने ऑटोमैटिक ऑप्शन वाले छह लाख कारों की बिक्री की है।
हालांकि ऑटोमैटिक कारें मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों की तुलना में महंगी होती हैं। लेकिन जैसे-जैसे टेक्नॉलॉजी विकसित होती जा रही है उसी तरह कीमत भी कम होती जा रही है। और भारत में कार खरीदते वक्त उसके माइलेज पर काफी जोर रहता है और ऑटोमैटिक वैरिएंट में मैन्युअल के मुकाबले बेहतर माइलेज मिलता है इसलिए भी यहां ऑटोमैटिक कारों के लिए आने वाला समय बेहतर हो सकता है।