अप्रत्याशित रूप से धरती पर बढ़ते तापमान और उसके चलते तेजी से पिघलते ग्लेशियरों की वजह से समुद्र में जलस्तर बढ़ रहा है. आलम ये है कि अब सागर अपनी सीमाओं को तोड़ कर तेजी से बस्ती की ओर बढ़ रहा है. ...
भूस्खलन और नदी के किनारे मिट्टी का कटाव पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भयानक है। सदियों पहले नदियों के साथ बहकर आई मिट्टी से निर्मित असम राज्य अब इन्ही व्यापक जल-श्रृंखलाओं के जाल में फंसकर बाढ़ व भूमि कटाव के श्राप से ग्रस्त है। ...
असम में प्राकृतिक संसाधन, मानव संसाधन और बेहतरीन भौगोलिक परिस्थितियां होने के बावजूद यहां का समुचित विकास न होने का कारण हर साल पांच महीने ब्रह्मपुत्र का रौद्र रूप होता है जो पलक झपकते ही सरकार व समाज की सालभर की मेहनत को चाट जाता है। ...
भारत दुनिया में सर्वाधिक प्याज पैदा करने वाला दूसरा देश है. चीन पहले स्थान पर है. अनुमान है कि हर साल हमारे देश में 70 लाख टन से अधिक प्याज खराब हो जाता है जिसकी कीमत 22 हजार करोड़ रु. होती है. ...
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने भी चेतावनी जारी कर कहा था कि यदि रेत का खनन नियंत्रित नहीं किया गया तो इसका संकट पैदा हो जाएगा. रेत बनने में सैकड़ों साल लगते हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा तेजी से इसका भंडार खाली हो रहा है. ...
आपको बता दें कि सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से मुल्क में आजादी के समय लगभग 24 लाख तालाब थे। लेकिन उन में से आज कितनी सही हालत में है और कितनी खत्म ही हो गए, यह एक गौर करने की बात है। ...
यदि शहर में गर्मी की मार से बचना है तो अधिक से अधिक पारंपरिक पेड़ों को रोपना जरूरी है, साथ ही शहर के बीच बहने वाली नदियां, तालाब, जोहड़ आदि यदि निर्मल व अविरल रहेंगे तो बढ़ी गर्मी को सोखने में ये सक्षम होंगे। ...
खेती के समक्ष सबसे खतरनाक चुनौती - जलवायु परिवर्तन और खेती के घटते रकबे पर कम ही बातें होती हैं. अब बहुत देर नहीं है जब किसान के सामने बदलते मौसम के कुप्रभाव उसकी मेहनत और प्रतिफल के बीच खलनायक की तरह खड़े दिखेंगे. ...