बिहार और बंगाल में सरकारी भर्तियों में ‘कैश या काइंड’ में लाभ लेकर नौकरी देने की सरकारी नीति के उपयोग के जो मामले उभर कर सामने आ रहे हैं, वे आंख खोल देने वाले हैं.ौ ...
अक्सर कहा जाता है कि यह संसार शब्दात्मक है. इस अर्थ में यह सही है कि मानव व्यवहार के निजी और सामाजिक दायरों में आने वाले लगभग हर व्यवहार में भाषा की अहम भागीदारी होती है. हमारा समूचा ज्ञान, शिक्षण, संचार और अमूर्तन आदि का काम करने में भाषा ही प्रमुख ...
महात्मा बुद्ध का जीवन-दर्शन आज के दौर में भी निश्चित रूप से प्रासंगिक है. उन्होंने संतोष को सर्वाधिक महत्व दिया और इच्छा, मोह, राग और द्वेष को सबसे बड़े दोषों में से एक बताया. ...
प्रकृति और मनुष्य के बीच संघर्ष का परिणाम पर्यावरण संकट के रूप में आ रहा है. हवा, पानी और भोजन जैसे जीवन जीने के लिए अनिवार्य तत्व घोर प्रदूषण की गिरफ्त में आ रहे हैं. ...
एक भक्त के रूप में तुलसीदासजी का विश्वास है कि सारा जगत राममय है और उनके मन में बसा भक्त कह उठता है- सीय राममय सब जग जानी, करउं प्रनाम जोरि जुग पानी। ...
भाषा समाज की विरासत और संपदा होती है जिसमें जीवन के सहज स्वर गूंजते हैं। यदि शिक्षा का आयोजन समाज की अपनी भाषा न होकर कोई पराई भाषा हो तो ज्ञान पाने का काम दुहरी-तिहरी कठिनाई वाला हो जाता है। ...