"राजनीतिक स्वार्थ के कारण मणिपुर में हुई हिंसा, समुदायों के बीच 'सत्ता' साझा करके खत्म किया जा सकता है तनाव" सुभाष चंद्र बोस के पोते सुगाता बोस ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 1, 2023 02:22 PM2023-10-01T14:22:57+5:302023-10-01T14:28:26+5:30
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते सुगाता बोस ने मणिपुर हिंसा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इसका अंत तभी हो सकता है कि जब सूबे की प्रभावशाली कूकी, मैतेई और नागा समुदाय को एक छतरी के नीचे लाया जाए और सत्ता की साझेदारी की जाए।
इंफाल: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते सुगाता बोस ने मणिपुर हिंसा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इसका अंत तभी हो सकता है कि जब सूबे की प्रभावशाली कूकी, मैतेई और नागा समुदाय को एक छतरी के नीचे लाया जाए और सत्ता की साझेदारी की जाए।
समाचार एजेंसी पीटीआई के बात करते हुए पूर्व लोकसभा सांसद सुगाता बोस ने कहा कि मणिपुर के ये तीनों प्रभावशाली समुदायों ने साल 1944 में नेताजी की आईएनए में शामिल होकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया था। उस वक्त आईएनए की फौज ने भारत में आगे बढ़ने के लिए बिष्णुपुर और उखरुल में कूकी, मैतेई और नागा समुदायों की मदद से अंग्रेजों से लोहा लिया था।
उन्होंने कहा, "मौजूदा वक्त में मणिपुर में जारी हिंसा को देखकर कष्ट हो रहा है। इसका एक ही उचित समाधान है कि तीनों समुदायों को एक मंच पर लाकर उनके बीच सत्ता की साझेदारी की जाए।"
इतिहास में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के गार्डिनर अध्यक्ष बोस ने कहा, "हमें कूकी, मैतेई और नागा समुदायों समुदायों को एक साथ फिर से लाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ किये गये संघर्ष को याद दिलाने की जरूरत है।"
बोस ने कहा, “मणिपुर की हालात वाकई बेहद दुखद है। छोटे से राजनीतिक लाभ के लिए एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा किया गया है। इस तरह का राजनीतिक खेल अब बंद होना चाहिए। केंद्र जल्द निर्णय ले और पूर्वोत्तर के बाकी हिस्सों के साथ मणिपुर को भी उसकी बात कहने की आजादी दे।"
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समय को याद करते हुए उन्होंने कहा, "उस वक्त कुकी, मैतेई और नागा समुदायों से बड़ी संख्या में मणिपुरी युवा इंफाल की ओर आईएनए के मार्च में शामिल हुए थे। उन मणिपुरी युवा स्वयंसेवी सैनिकों में से 15 पुरुष और दो महिलाएं रंगून की वापसी में अन्य आईएनए सैनिकों में शामिल हो गए थे और ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई में हिस्सा लिया था।
बोस ने बताया, "मणिपुर के इन आजाद हिंद सेनानियों में आजादी के बाद मणिपुर के बने पहले मुख्यमंत्री एम कोइरेंग सिंह भी शामिल थे।"
नेताजी के पोते ने बताया कि जुलाई 1944 में उन्होंने अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों से मिलने के लिए कुकी बाहुल चुराचांदपुर के पास एक आईएनए शिविर का दौरा किया था और वहां पर ग्रामीणों के साथ बातचीत की थी।
मालूम हो कि मणिपुर में मेइती समुदाय राज्य की आबादी का लगभग 53 फीसदी हिस्से में हैं और ज्यादातर वो इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं नागा और कुकी समुदाय कुल आबादी के 40 फीसदी हैं और वे इंफाल के आसपास के पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
पिछले पांच महीनों से मैतेई और कुकी समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ दंगे कर रहे हैं, जिसके कारण अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं हजारों लोग बेघर होकर अस्थायी शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं।