Lok Sabha Elections 2024: हेमंत करकरे की हत्या विवाद पर उद्धव की शिवसेना ने 'सामना' में घेरा कांग्रेस को, कहा- 'वो आतंकवादियों की गोली से ही शहीद हुए थे'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 8, 2024 11:46 AM2024-05-08T11:46:54+5:302024-05-08T11:55:14+5:30
शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार के उस सनसनीखेज दावे से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों के दौरान महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को लश्कर आतंकी अजमल कसाब ने नहीं मारा था।
मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार के उस सनसनीखेज दावे से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों के दौरान महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को लश्कर आतंकी अजमल कसाब ने नहीं मारा था।
उद्धव ठाकरे की पार्टी के मुखपत्र सामना ने बुधवार को छपे संपादकीय में कहा कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी पुलिस अधिकारी सीमा पार से आये आतंकियों की गोलियों से शहीद हुए थे।
दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता वडेट्टीवार ने दावा किया था कि करकरे को 26/11 के हमलों के दौरान आतंकवादियों ने नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी एक पुलिस अधिकारी ने गोली मारी थी।
हालांकि, सामना ने अपने नवीनतम संपादकीय में कहा, "मुंबई पर 26/11 का हमला आतंकवादियों द्वारा किया गया था और बाद की जांच में पाकिस्तान की भूमिका और भागीदारी बिना किसी संदेह के स्थापित हुई थी। कसाब ने पुछताछ में खुलासा किया था कि होटल ताज, कामा अस्पताल, चबाड हाउस (यहूदी मदरसा) और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे शहर के प्रमुख स्थलों पर उसने और उसके साथी ने निहत्थे नागरिकों पर गोलीबारी की थी।"
सामना में कहा गया है, "तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, अशोक काम्टे, विजय सालस्कर और अन्य पुलिसकर्मियों ने कसाब और उसके साथी बंदूकधारियों द्वारा सीमा पार से किए गए हमलों में सर्वोच्च बलिदान दिया। ये सभी बहादुर अधिकारी आतंकवादियों द्वारा चलाई गई गोलियों का शिकार हो गए। पूरे देश ने हमारे बहादुर पुलिसकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान पर शोक व्यक्त किया था।''
समाचार पत्र के संपादीय में कांग्रेस नेता के इस दावे पर सवाल उठाते हुए कि करकरे को कसाब ने नही बल्कि आरएसएस से जुड़े एक साथी पुलिस अधिकारी ने हत्या की थी, जोरदाक खंडन किया गया है। हालांकि संपादकीय में 26/11 के अभियोजक वकील उज्ज्वल निकम, जो कि भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन पर कसाब मामले में तथ्यों को दबाने का आरोप लगाया गया है।
उद्धव ठाकरे की पार्टी के समाचार पत्र में लिखा है, "वकील उज्ज्वल निकम, जो 26/11 मामले में अभियोजक थे और इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर उत्तरी मुंबई निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। अब पता चला है कि निकम एक 'संघी' थे। उन्होंने कई सच्चाइयों को छुपाया था। निकम ने झूठ बोला था कि कसाब हर दिन बिरयानी खाता था और उसे सलाखों के पीछे विशेष सुविधाएं दी गई थीं, लेकिन यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि 26/11 के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी पुलिस अधिकारी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार नहीं बने थे।''
सामना के संपादकीय में इस बात पर जोर दिया गया कि हेमंत करकरे की मृत्यु वीरतापूर्वक हुई और देश को उनके सर्वोच्च बलिदान पर गर्व है।
समाना में कहा गया है, "विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार उज्ज्वल निकम की आलोचना करते हुए करकरे के सर्वोच्च बलिदान को उठाया। हालांकि, भाजपा ने इसे अपने तरीके से मोड़ दिया। करकरे के सर्वोच्च बलिदान के बारे में सवाल सबसे पहले भाजपा के सहयोगी हसन मुश्रीफ द्वारा उठाए गए थे। मुश्रीफ के भाई एसएम मुश्रीफ, जो कि उस समय पुलिस विभाग में थे। उन्होंने हेमंत करकरे की मौत पर सवाल उठाया था।''